सरकार ने आदिवासी और माओवादी कैदियों की रिहाई के लिए जो हाई पॉवर गठित की है, वह एक तरह से छलावा है. उस कमिटी में वही लोग हैं जो राज्य के निर्दोष आदिवासियों को जेल भेजने के लिए जिम्मेदार हैं. उनसे रिहाई के मामले में उम्मीद पालना धोखे में रखना है...
जनज्वार. माओवादियों और सरकार के बीच शांतिवार्ता के लिए मध्यस्थ रह चुके सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश ने छत्तीसगढ़ के जिलाधिकारी अपहरण मामले में सरकारी कोशिशों को लेकर संदेह और ऐतराज जताया है. इस सिलसिले में वह आज 4 बजे दिल्ली के जंतर-मंतर स्थित अपने कार्यालय में प्रेस वार्ता आयोजित कर रहे हैं.
स्वामी अग्निवेश का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने आदिवासी और माओवादी कैदियों की रिहाई के लिए जो हाई पॉवर गठित की है, वह एक तरह से छलावा है. उस कमिटी में वही लोग हैं जो राज्य के निर्दोष आदिवासियों को जेल भेजने के लिए जिम्मेदार हैं. उनसे निर्दोष आदिवासियों की रिहाई के मामले में उम्मीद पालना न्याय की उम्मीद करने वालों को धोखे में रखना है. जबतक सरकार इस हाई पॉवर कमिटी में माओवादियों की ओर से पसंद किये गये वार्ताकार बीडी शर्मा और जी हरगोपाल को शामिल नहीं किया जाता, तबतक इस समिति का कोई मतलब नहीं है. सरकार को इनके अतिरिक्त भी नागरिक सकज के लोगों को इस समिति का हिस्सा बनाना चाहिए.
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य सचिव, मुख्य सचिव समेत दो अन्य सेवानिवृत नौकरशाहों की एक हाई पाॅवर कमिटी बनायी है जो कैदियों की रिहाई मामले की समीक्षा करेगी. यह कमिटि माओवादियों की उस मांग के बाद बनायी गयी है, जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार करीब 10 माओवादी नेताओं और आदिवासियों को रिहा करे.
माओवादियों द्वारा अपहृत छत्तीसगढ़ के सुकमा जिलाधिकारी एलेक्स पॉल मेनन को कल 3 मई को माओवादी छोड़ सकते हैं. उन्होंने यह जानकारी देर रात एक जारी बयान में दी. माओवादी विद्रोहियों की जारी प्रेस विज्ञप्ती के मुताबिक, '3 मई को ताड़मेटला की जनता के सामने मेनन को सौंपने को हम तैयार हैं.'
बत्तीस वर्षीय कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन का 21 अप्रैल को माओवादियों ने उस समय अपहृत कर लिया था, जब वह क्षेत्र के दौरे पर थे. उस वक्त वह छत्तीसगढ़ सरकार की ग्राम सुराज अभियान के मद्देनजर मझीपाड़ा में एक बैठक कर रहे थे.
कलेक्टर को छोड़ने के मामले में माओवादियों ने शर्त रखी है कि उनके द्वारा नियुक्त दो वार्ताकारों बीडी शर्मा और जी हरगोपाल के समक्ष मेनन को उस समय सौपेंगे, जब जेलों में बंद माओवादियों की रिहाई मामले का समझौता पत्र लेकर दोनों वार्ताकार पहुंचेंगे. अग्निवेश को सरकार के इसी पत्र में किये जा रहे वायदे पर संदेह है.
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