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Tuesday, July 3, 2012

Fwd: मुझे यशवंत से दिक्कत यों है



---------- Forwarded message ----------
From: Journalist Community <admin@journalistcommunity.com>
Date: 2012/7/3
Subject: मुझे यशवंत से दिक्कत यों है
To: admin@journalistcommunity.com


विवादों को पैदा करना और उन में बने रहना ज़रूरत ही नहीं, अब नियति बन चुकी है. कमला दास ने अपने पहले मासिक धर्म का उतना विस्तृत विवरण नहीं दिया होता तो 'माई स्टोरी' में किस की कोई स्टोरी होती. तसलीमा नसरीन मुसलमानों के खिलाफ यों न लिखती होतीं तो आज इतनी भी मकबूल न होतीं. मेरा तो ये भी मानना है कि खुद भारत के बनाए बंगलादेश के लोग जब आपके बीस बीस फौजियों के शरीर चीर फाड़ कर हमें कोरियर करते हैं तो उस के पीछे कहीं न कहीं बांग्लादेशियों के भीतर गहरे मानस में रची बसी वो नफरत भी है जो हम ने उनकी नसरीनों को नाहक पाल के खुद अपने लिए पैदा की है. ये अपनी प्रसिद्धि के लिए देश, दुनिया और समाज ऐसी तैसी करने वालों को पालने का ठेका हमीं ने क्यों पाल रखा है, पांडेय जी? यशवंत की ही बात कर लें. ऐसा क्या उपकार कर रखा है उन्होंने इस देश की व्यवस्था, समाज या पत्रकारिता पर? http://journalistcommunity.com/index.php?option=com_content&view=article&id=1659:2012-07-03-13-43-14&catid=34:articles&Itemid=54

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