Thursday, 23 May 2013 14:35 |
लखनऊ । राजधानी लखनऊ के स्मारकों और पार्को का प्रयोग अब शादी-ब्याह, मेले और महोत्सवों जैसे आयोजनों के लिए किया जायेगा। राजधानी लखनऊ में पूर्व मुख्यमंत्री व बसपा सुप्रीमो मायावती द्वारा करोड़ो-अरबों रुपए की लागत से बनवाये गये दलित महापुरुषों के स्मारकों और पार्को का प्रयोग अब शादी-ब्याह, मेले और महोत्सवों जैसे आयोजनों के लिए किया जायेगा। लखनऊ के प्रभारी मंत्री शिवप्रताप यादव ने ''भाषा'' को बताया कि पूर्व सरकार द्वारा बनाये गये स्मारकों एवं पार्को का प्रयोग सर्वजन समाज के मांगलिक कार्यो एवं उत्सवों के लिए किये जाने का निर्णय लिया गया है। परिवर्तन स्थल के बाहरी प्रशासनिक भवन को किराये पर पुलिस महकमे अथवा गृह विभाग को वूमेन पावर लाइन :1090: या अन्य किसी कार्य के लिए आवंटन कर दिया जायेगा। इसी प्रकार कांशीराम ग्रीन :इको: गार्डन भी राज्य सम्पत्ति विभाग को किराये पर दे दिया जाएगा। नयी व्यवस्था के अनुरुप रमाबाई अम्बेडकर ग्राउन्ड का एक पर्याप्त हिस्सा वार्षिक 'लखनउच्च् महोत्सव' आयोजन के लिए सुरक्षित रखा जायेगा जबकि शेष भाग को किराये पर एक्सपो मार्ट अथवा अन्य महोत्सवों के आयोजन के लिए प्रयोग में लाया जायेगा। रमाबाई ग्राउन्ड पर बने पार्किग स्थल को राज्य परिवहन निगम के अर्न्तराज्जीय बस टर्मिनल के लिए आवंटित किया जाना प्रस्तावित है। मायावती सरकार द्वारा हजारों-करोड़ों रुपए की लागत से बनाये गये स्मारकों और पार्कों मे खाली पडेÞ भवनों एवं जमीन के उचित प्रयोग हेतु लखनउच्च् के जिलाधिकारी अनुराग यादव के नेतृत्व मे एक समिति पहले ही गठित की जा चुकी है। बहुजन समाज पार्टी ने प्रदेश की अखिलेश सरकार द्वारा स्मारकों और पार्को में विभागीय दफ्तरों को खोले जाने के निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा है कि इस प्रकार के निर्णय से गलत परम्पराओं की शुरुआत होगी। बसपा सांसद ब्रजेश पाठक का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री मायावती द्वारा दलित महापुरुषों की स्मृति में उनके नाम पर बनाए गए स्मारकों और पार्कों में दफ्तर खोला जाना सिर्फ दलित महापुरुषों का अपमान ही नहीं है बल्कि सपा सरकार इससे गलत परम्पराओं की शुरुआत भी करने जा रही है । इससे भविष्य में सरकार बदलने पर सपा के ऐसे स्थलों में भी बदलाव किये जाने के रास्ते खुल जाएंगे। |
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