मनीष साहू, लखनऊ। ग्वालियर के एक नेकदिल वकील के प्रयास से केदारनाथ में आपदा के दौरान घरवालों से बिछुड़ी एक लड़की कानपुर में अपने परिजनों के पास पहुंच गई है। दस साल की शिवानी अपने चाचा और चाची के साथ केदारनाथ की यात्रा पर गई थी। उसके चाचा केदारनाथ गुप्ता करोबारी हैं। केदारनाथ धाम में आपदा के बाद से उनका और उनकी पत्नी गीता का अभी तक पता नहीं चल सका है। आपदा वाले दिन सत्रह जून को शिवानी अपने चाचा और चाची से बिछुड़ गई थी। उस समय ग्वालियर के वकील मृत्युंजय गोस्वामी ने उसे एक धर्मशाला में परेशान हाल में देखा। आपदाग्रस्त इलाके में लगे राहत शिविर को शिवानी के बारे में सूचित करने के बाद गोस्वामी उसे अपने साथ ग्वालियर ले आए और अपने पास रखा। बाद में लड़की से मिली जानकारी के आधार पर वे उसे कानपुर ले गए और माता-पिता के हवाले किया। वकील गोस्वामी अपनी पत्नी रेनू और पांच साल की बेटी के साथ केदारनाथ की यात्रा पर गए थे। गोस्वामी ने बताया कि लड़की काफी समझदार है। उसकी परेशानी देखकर हमने उसके घर और शहर के बारे में पूछा। उसने अपने पिता का नाम बताया और यह भी कहा कि उसके पिता कानपुर में वकील हैं। गोस्वामी का कहना है कि सारी जानकारी मिलने के बाद उन्होंने अपने सहयोगियों से कहा कि वे कानपुर में अपने संपर्कों के जरिए शिवानी के घरवालों का पता करें। गोस्वामी ने बताया कि उन्होंने एक हफ्ते तक शिवानी को अपने घर में रखा और पूरा ध्यान दिया। कानपुर के कल्याणपुर इलाके के रहने वाले शिवानी के पिता शिवशंकर गुप्ता गोस्वामी की इस मदद को जिंदगी भर नहीं भूल पाएंगे। वे कहते हैं कि वे आजीवन गोस्वामी के अहसानमंद रहेंगे जिन्होंने बिछुड़ी बेटी को परिवार से मिला दिया। गुप्ता ने बताया कि मृत्युंजय गोस्वामी ने उनकी लड़की को ग्वालियर में अपनी बेटी की तरह रखा। उनका यह मानवीय ऋण चुकाना मुश्किल है। गुप्ता ने बताया कि सत्रह जून को जब बाढ़ और भूस्खलन ने केदारनाथ में कहर बरपाया तो शिवानी अपने चाचा और चाची के साथ केदारनाथ में थी। उन्होंने एक धर्मशाला में शरण ले रखी थी। जब बाढ़ के पानी ने उफान मारा तो अफरातफरी मच गई। शिवानी अपने चाचा के पांव से लिपट गई। लेकिन बहाव इतना तेज था कि वह उनसे अलग जा गिरी और उसके बाद वे नहीं मिले। गोस्वामी का कहना है कि सत्रह जून को काली कमली धर्मशाला में यह लड़की उन्हें मिली थी। उसके कपड़े फट चुके थे। उसके पैर में चोट लगी थी। वह कीचड़ से सनी हुई थी। दो दिन बाद गोस्वामी अपने परिवार और शिवानी के साथ एक राहत शिविर में पहुंचे। राहत शिविर के अधिकारियों को उन्होंने लड़की के बारे में जानकारी दी और उसे साथ लेकर आ गए। गोस्वामी का कहना है कि राहत शिविर के अधिकारी दूसरे बचाव काम में लगे थे, इसलिए उन्हें महसूस हुआ कि वे लड़की की मदद नहीं कर पाएंगे। इसके बाद उन्होंने उसे ग्वालियर लाने का फैसला किया। |
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