दूध की धुली नहीं है देवयानी मुखोपाध्याय!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
श्रीनगर के होटल मे बतौर पति पत्नी ठहरे हुए शारदा समूह के कर्णधार सुदीप्त सेन और उनकी खासमखास देवयानी मुखोपाध्याय के बीच गिरफ्तारी के बाद दूरियां भले बढ़ती गयीं और देवयानी को सरकारी गवाह बनाने की तैयारी हो गयी, लेकिन अब जो खुलासे हो रहे हैं , उससे जाहिर है कि आम निवेशकों की जमा पूंजी लूटने में सुदीप्त के साथ देवयानी समान साझेदार है। बारुईपुर के आटोचालक से करोड़पति बने शारदा एजंट बुंबा की गिरफ्तारी के बाद यह खुलासा हुआ कि देवयानी पांच लोगों के उस कोर ग्रुप में सुदीप्त के साथ थीं, जो समूह के पूरे कारोबार को देखता था। इस कोर ग्रुप में राज्य के दो पूर्व आईपीएस अफसरान और उनमें से एक की बीवी भी शामिल थे। अब यह खुलासा भी हुआ है कि न सिर्फ सुदीप्त की ओर से चेक पर दस्तखतकरती थी देवयानी, बल्कि शारदा च्यूर एंड ट्रावेल के खाते में जमा रकम सीधे देवयानी के बैंक एकाउंट में जमा होती थी।
पुलिस को इस बीच पता चला है कि मंत्रियों, सांसदों और नेताओं को करोड़ों रुपये का भुगतान ही नहीं करते रहे सुदीप्त, बल्कि अक्सर उन्हें कीमती उपहार भी देते रहे। पैंतीस तो बेशकीमती गाड़ियां उपहार में दे दी गयीं।जिनकी औसत कीमत छह लाख तीस हजार रुपये बतायी जाती है।पुलिस के लिए दिक्कत यह है कि उपहार में दी गयी इन गाड़ियों को जब्त भी नहीं किया जा सकता।हालांकि पुलिस ने अबतक सुदीप्त सेन और शारदा समूह की 56 गाड़िया बरामद कर ली है। पर वह नेताओं को मिली गाड़ियों को छूने की हालत में नहीं है।पुलिस को जिन दो सौ से ज्यादा बैक खातों का पता चला है, शारदा समूह के उन खातों से देवयानी और उनके शागिर्दों ने अति दक्षता से रकम स्थांतरित कर ली और सुदीप्त हाथ मलते रह गये।मजे की बात है कि बैंक खातों से रकम के स्थानांतरण की बात पहले इंकार करने के बाद देवयानी ने कबूल कर ली है। लेकिन यह सारी रकम खर्च हो गयी है, देवयानी की इस दलील के आगे पुलिस लाजवाब है।
खुफिया जांच से पता चला है कि शारदा समूह में निवेशकों की ओर से जमा करायी रकम डाइवर्ट होकर देवयानी के बैंकखाते में जमा हो जाया करती थी। इसी बेहाब रकम को दबाने के लिए देवयानी ने सुदीप्त से लगातार दूरी बना ली है, ऐसा समझा जा रहा है। निशा छाबर ने भी बारी रकम हड़प ली, लेकिन पुलिस उसका अता पता मालूम नहीं कर सकी। सुंदरी ब्रिगेड में शामिल सत्तर से ज्यादा सुंदरिों में से किसने क्या क्या गुल खिलाये हैं, इस दिशा में भी कोई प्रगति नहीं हुई है। अकेले देवयानी के करिश्मे से पुलिस ने दांतों तल उंगली दबा ली है। शारदा की पोंजी स्कीम के पैसे कैसे देवयानी के निदी खाते में जमा होते रहे कैसे ट्यूर एंड ट्रावेल की रकम भी उसके खाते में जमा होते रहे, पुलिस इस प्रक्रिया का भी अभी खुलासा नहीं कर पायी है।
बुंबा के मुताबिक मियाद पूरी होने के बावजूद जमाकर्ताओं को पैसे लौटाने से सुदीप्त आनाकानी कर रहे थे। पर भुगतान के लिए दबाव बढ़ाने पर चेक पर दस्तखत करके उन्होंने भेज दिये तो सारे के सारे चेक बाउंस हो गये। पुलिस ने ऐसेदो सौ से ज्यादा चेक बामद कर लिये हैं।बुंबा ने सुदीप्त के लगाये गबन के आरोप से सीधे इंकार करते हुए दावा किया कि उनह्होंने बारुईपुर शाखा के निवेशको को भुगतान के लिए कोई पैसा नहीं दिया।बुंबा ने दावा किया है कि शारदा समूह के पोंजी योजनाओं पर सुदीप्त सेन का पूरा निंत्रण था। पोंजी चेन टूटने और शारदा समूह के डूबने के लिए वे ही जिम्मेदार हैं।बुंबा ने कहा कि देवयानी से उसकी पटती नहीं थी और इसीलिए मैडम से उसका कोई संबंध नहीं था। उसने सुदीप्त की खरीदी बारुईपुर और सोनारपुर इलाके की संपत्तियों के बारे में पुलिस को ब्यौरा दे दिया है।
कश्मीर में पति पत्नी परिचय से एक ही होटल के एक ही कमरे से सुदीप्त के साथ गिरफ्तार देवयानी मुखोपाध्याय ने वकीलों के जरिये जो पत्र जारी किया है, उससे देवयानी को सरकारी गवाह बनाने की सोच रहे पुलिसवाले भी हैरान है। देवयानी ने पहले ही नौकरी छोड़ देने और शारदा समूह से वेतन न लेने का जो दावा किया है, वह भी गलत निकला है। २००८ में शारदा समूह में बतौर रिसेप्शनिस्ट नौकरी शुरु करने वाली देवयानी शारदा समूह में निदेशक ही नहीं थी, सुदीप्त के खासमखास होने की वजह से वह नंबर दो हैसियत में थी। उसका यह उत्थान सुदीप्त के साथ गहराते संबंधों की वजह से है, जिसकी बदौलत सुंदरी ब्रिगेड की तमाम सुंदरियों को पछाड़ कर वह एक के बाद एक सीढ़ियां लांघती चली गयी। शारदा का भंडाफोड़ होते न होते वह दोनों पत्नियों के साथ फरार हो गया, लेकिन अब वह कश्मीर में देवयानी मुखोपाध्याय के साथ पकड़ा गया। किसी पत्नी के साथ नहीं। हालांकि देवयानी ने इसका खंडन किया है कि उन्हें एक ही कमरे से पकड़ा गया। इसके अलावा उन्होंने यह दावा भी किया कि अमूमन वे अपने सर के शाथ बिजनेस टूर पर जाती रही हैं, यह सिलसिला सुदीप्त के फरारी के दौरान और वह भी ३५ कंपनियों के निदेशक पदों से हटाये जाने के बाद जारी रहा, यह बात गले से लेकिन उतरती नहीं है। शारदा समूह के आर्थिक लेनदेन में और खासकर पोंजी चक्र के संचालन में देवयानी की भूमिका सर्वविदित है और वे सुदीप्त के बदले चेक पर भी हस्ताक्षर करती थी लेकिन अब उनका दावा है कि समूह के वित्तीय मामलों में उनकी कोई भूमिका ही नहीं थी। सुदीप्त सेन और शारदा भंडाफोड़ के सिलसिले में जिन तमाम लोगों से पुलिस ने अब तक जिरह की है, उनके दिये तथ्यों से एकदम उलट हैं देवयानी के दावे।
देवयानी ने इस पत्र में दावा किया है कि कंपनी के कामकाज के बारे में सवाल करने से उसे ३५ कंपनियों के निदेशक पद से एक झटके से हटा दिया गया। यह वक्तव्य कंपनी में उसकी हैसियत साबित करने के लिए काफी है। उसे कंपनी के निदेशक पद से हटा दिये जाने के बावजूद चेक भुगतान के रिकार्ड के मुताबिक उसका वेतन भुगतान जारी था। इसके अलावा अपनी अकूत संपत्ति बचाने केलिए वह ऐसा बयान नहीं दे रही है, इसका भी सबूत नहीं मिला है। फिर जिसे एकमुश्त ३५ कंपनियों के निदेशक पद से हटा दिया गया हो, वह उसी कंपनी के मालिक के साथ फरार रही और पति पत्नी की तरह देश विदेश घूमती रही, यह दलील गले से नहीं उतरती। सुदीप्त और देवयानी के फरारी के वक्त नेपाल में रहने के बारे में पता चला है। आरोप है कि कोलकाता से फोन मिलने के बाद दोनों भारत लौटे और सुविधा मुताबिक गिरफ्तार हो गये। फरारी से पहले सुदीप्त ने मुकुल राय और कुणाल घोष से भी मुलाकात की थी।
ढाकुरिया की निवासी देवयानी मुखर्जी का सपना एयर होस्टेस बनना था। इसके लिए उसने बकायदा प्रशिक्षण भी लिया था। हालांकि 27 वर्षीय देवयानी कभी भी एयर होस्टेस नहीं बनी। वर्ष 2007 में देवयानी ने 64 शेक्सपियर सरणी, कोलकाता में शारदा टूर एण्ड ट्रैवेल्स प्राइवेट लिमिटेड के कार्यालय में रिसेप्शनिस्ट व टेलीफोन आपरेटर के तौर पर काम संभाला था।शेक्सपियर सरणी स्थित कार्यालय में आयकर विभाग का छापा पड़ने के कारण इस कार्यालय को साल्टलेक सेक्टर-5 के एएन ब्लाक के मिडलैंड पार्क में स्थानांतरित कर दिया गया था। वर्ष 2011 में कंपनी के निदेशक का पद संभालने के बाद देवयानी ने इस कार्यालय में केवल युवतियों को ही नियुक्त करना शुरू किया था। देर रात तक कार्यालय में बैठक होती रहती थी। कर्मचारियों के अनुसार बैठक चलने तक सभी लोगों को उपस्थित रहना पड़ता था।बताया जाता है कि सुदीप्त सेन को वर्ष 2000 के मध्य में जोका के सारधा गार्डन का मालिक बनाने में भी देवयानी ने बड़ी भूमिका निभाई थी। सूत्रों के अनुसार 29 जनवरी 1999 में एक परियोजना के प्रमोटर विश्वनाथ अधिकारी की मौत हो गई थी। सेन को इस मामले से बचाने में देवयानी ने अहम भूमिका निभाई थी। इस कारण भी देवयानी सुदीप्त सेन के काफी नजदीक आई।
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