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Friday, August 2, 2013

जल,जंगल और जमीन की लड़ाई को कुचल रही है कोयला कम्पनी

जल,जंगल और जमीन की लड़ाई को कुचल रही है कोयला कम्पनी


मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में अपने जल, जंगल और जमीन को बचाने की लड़ाई लड़ रहे महान संघर्ष समिति के सदस्यों पर कोयला कम्पनी द्वारा 4 अगस्त को आयोजित पब्लिक रैली में शामिल ना होने के लिये जबरदस्त दबाव बनाया जा रहा है।

समिति का उद्देश्य इस क्षेत्र से कोयला कम्पनियों से दूर रखना है और समिति महान वन क्षेत्र में महान कोल लिमिटेड (हिंडाल्कों एवं एस्सार का संयुक्त उपक्रम) की प्रस्तावित खदान का विरोध कर रही है। स्थानीय लोगों ने मिलकर महान संघर्ष समिति का गठन इस साल फरवरी में किया था जिसमें पांच गांव शामिल थे। समिति ने हाल ही में 26 जुलाई से 30 जुलाई के बीच क्षेत्र में पांच दिन का यात्रा भी निकाली थी। जिस यात्रा के दौरान दस नए गावों को समिति के साथ जोड़ा गया।

समिति अपने जल, जंगल और जमीन के इस आंदोलन को मजबूत बनाने के लिये 4 अगस्त को अमीलिया गांव में एक बड़ी पब्लिक रैली का आयोजन कर रही है और आरोप हैं कि रैली में शामिल ना होने के लिये समिति के सदस्यों पर कम्पनी द्वारा दबाव बनाया जा रहा है। समिति के आरोप लगाया है कि कम्पनी के अधिकारी अरविंद सिंह, हरीश खंडेलवाल, अशोक सिन्हा और प्रतिभा गांवों में जाकर लोगों को रैली में शामिल ना होने के लिये दबाव बना रहे हैं। समिति के सदस्य कृपानाथ यादव को बार-बार कम्पनी के लोगों द्वारा बुलाये जाने पर जब कृपानाथ कम्पनी के कार्यालय पहुँचे तो कम्पनी ने उन्हें रैली में शामिल ना होने के लिये कई तरह के प्रलोभन दिये। मगर कृपानाथ का कहना है कि चाहे कुछ भी हो जाए वो 4 अगस्त की सभी में हर हालत में शामिल होंगे क्योंकि ये उनके हक की लड़ाई है। यही हाल समिति के दूसरे सदस्यों उजराज सिंह, वीरेंद्र सिंह एवं दूसरे सदस्यों का भी है जिन पर कम्पनी तरह-तरह के प्रलोभन देकर रैली में शामिल ना होने का दबाव बना रही है।

दो दिन पहले सिंगरौली दौरे पर पहुँचे राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को कम्पनी ने महान विकास मंच की ओर से एक चिट्ठी भी सौंपी जिसमें अमीलिया गांव के लोगों के फर्जी हस्ताक्षर थे और मुख्यमंत्री से माँग की कि स्थानीय लोग क्षेत्र के विकास के लिये जल्द-जल्द कम्पनी को आने देना चाहते हैं। उल्लेखनीय है कि 6 मार्च को अमीलिया गांव में आयोजित ग्राम सभा में सिर्फ 183 लोग शामिल हुये थे और आरोप हैं कि फर्जी तरीके से 1125 लोगों के हस्ताक्षर दिखाये गये हैं। इसमें कई ऐसे लोगों के हस्ताक्षर भी हैं जिनका दो-तीन साल पहले निधन हो चुका है।

 

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