नयी दिल्ली, एक अप्रैल (एजेंसी) राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण :एनजीटी: ने उत्तराखंड के गढ़वाल में अलकनंदा नदी पर 200 मेगावाट की श्रीनगर पनबिजली परियोजना का काम रोकने के बारे में एक याचिका पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को नोटिस जारी कर उसका जवाब मांगा है। याचिका में इस परियोजना को नए सिरे से डिजाइन करने का निर्देश देने की अपील की गई है। न्यायाधिकरण ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, उत्तराखंड सरकार और अलकनंदा हाइड्रो पावर कंपनी लि. :एएचपीसीएल: को नोटिस भेजकर 19 अप्रैल तक जवाब देने को कहा है। कार्यवाहक अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए सूर्यनारायण नायडू की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि नोटिस जारी किया। यह आदेश पर्यावरण कार्यकर्ता विमल भाई और अर्थशास्त्री तथा आईआईएम बेंगलूर के पूर्व प्रोफेसर भरत झुनझुनवाला की याचिका पर दिया गया। याचिका में परियोजना का काम रोकने और उसे नए सिरे से डिजाइन करने का निर्देश देने की अपील की गई है, जिससे नदी के प्रवाह में बाधा न आए और तथा क्षेत्र के वन एवं पारिस्थितिकी तंत्र पर पर्यावरण के नकारात्मक असर को कम किया जा सके। पीठ के सामने खुद मामले की दलीलें देते हुए झुनझुनवाला ने एएचपीसीएल का यूपी बिजली कारपोरेशन के साथ किया गया बिजली खरीद समझौता खत्म करने का निर्देश देने की मांग की। साथ ही उन्होंने एएचपीसीएल को उत्तराखंड बिजली कारपोरेशन के साथ नया समझौता करके स्थानीय इलाकों को यहां से पैदा बिजली की आपूर्ति करने का निर्देश देने के लिए भी कहा। पर्यायवरण मंत्रालय ने तीन मई 1985 को 200 मेगावाट परियोजना स्थापित करने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड को पर्यायवरण संबंधी मंजूरी दी थी। | |
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