दूनिया को जीत लेने की क्षमता लिये यह लड़की जब स्टेडियम में अपना तीर चलायेगी तो हजारों की भीड़ तालियों से उसका स्वागत करेगी, लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए उसे आज अदद एक अधिकारी की रहमत की दरकार है...
जनज्वार. तिरंदाजी के खेल में आधा दर्जन बार राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर गोल्ड-सिल्वर मेडल हासिल कर चुकी हरियाणा की दलित युवती पिंकी रानी 4 जुलाई से लिथुआनिया में होने वाले विश्व चैंपियनशिप में लगता है शामिल नहीं हो पायेगी। पासपोर्ट अधिकारी पिंकी रानी का पासपोर्ट बनाने को तैयार नहीं हैं, जबकि वीजा के लिए पासपोर्ट 22 जून तक बन जाना आवश्यक है। पांचवां द एसोशियसन फॉर इंटरनेशनल स्पोर्टस फॉर ऑल (टीएएफआइएसए) का यह विश्व चैंपियनशिप यूरोप के लिथुआनिया में आयोजित कराया जा रहा है, जिसमें भारत की ओर से 16 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं.
हरियाणा की चैंपियन तिरंदाज पिंकी रानी दिल्ली से सटे समृ़द्ध और साक्षर जिले गुड़गांव के दमदमा गांव की रहने वाली हैं । उसके मामले में पासपोर्ट बना रहे अधिकारियों का कहना है कि तत्काल पासपोर्ट बनवाने में पहचान प्रमाणित करने के लिए, पहचान प्रमाणित करने वाले अधिकारी के परिचय पत्र की एक कॉपी भी साथ में संलग्न करनी होती है। इसी कोशिश में पिछले 15 दिन से पासपोर्ट ऑफिस का चक्कर लगा रही पिंकी रानी ने अभी चैंपियनशिप में जाने की उम्मीद तो नहीं छोड़ी है, पर समय बहुत कम रह जाने की वजह से वह हताश है।
पिंकी रानी के मामले में उनके परिजनों का कहना है कि इलाके के एसडीएम कैप्टन मनोज अपना परिचय पत्र की कॉपी देने को तैयार नहीं हैं और प्रमाणित की गयी कॉपी पर लिखते हैं कि उनका परिचय पत्र बनने की प्रक्रिया में है। पासपोर्ट विभाग के सूत्रों के मुताबिक एसडीएम पिछले चार सालों से लगातार यही लिखते आ रहे हैं कि उनका परिचय पत्र बनने की प्रक्रिया में है।
जाहिर है पिंकी रानी के मामले में भी एसडीएम कैप्टन मनोज वही पद्धति दोहरा रहे हैं जो वह पिछले चार वर्षों से करते आ रहे हैं। पिंकी रानी जूनियर ओपेन नेशनल-सिनियर ओपेन नेशनल में गोल्ड, राष्ट्रीय खेलों में सिल्वर, अंतरिम विश्वविद्यालय चैंपियनशीप में गोल्ड हासिल कर चुकी हैं। पिंकी रानी को तिरंदाजी में हरियाणा के चैंपियन का दर्जा प्राप्त है। ऐसे एक खिलाड़ी के पासपोर्ट बनने में दिक्कतें आयें तो दूसरे जरूरत मंदों के साथ क्या होता होगा कल्पना की जा सकती है।
तत्काल पासपोर्ट बनवाने के लिए राज्य संघ लोक सेवा आयोग के किसी अधिकारी से या राज्य में तैनात आइपीएस से प्रमाणित कराना पड़ता है और साथ में उस अधिकारी के पहचान पत्र की एक कॉपी भी लगानी पड़ती है। अधिकारी आमतौर पर दस्तखत कर अपना परिचय पत्र देने से आनाकानी करते हैं। ऐसे में आखिरी उपाय यही होता है कि लोग जान-पहचान, रिश्तेदारियों आदि के जरिये राज्य से संबधित किसी न किसी अधिकारी का प्रमाण पत्र हासिल करने में सफल होते हैं।
वर्षों से चले आ रहे इस व्यावहारिक ज्ञान की सर्वाधिक मुश्किलें उन परिवारों या समाजों को होती हैं जिनके घरों-रिश्तेदारियों में इस तरह के नौकरशाह नहीं है। जाहिर तौर पर पिंकी रानी के मजदूर पिता भी उनमें से एक हैं। दूनिया को जीत लेने की क्षमता लिये यह लड़की जब स्टेडियम में अपना तीर चलायेगी तो हजारों की भीड़ तालियों से उसका स्वागत करेगी, लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए उसे आज अदद एक अधिकारी की रहमत की दरकार है, जो उसे प्रमाणित कर सके.
पिंकी के चाचा का लड़का सुनील कुमार बताता है, 'हमें जितने लोगों से उम्मीद थी सबके पास गये लेकिन कोई भी आधिकारी अपना परिचय पत्र की कॉपी देने का तैयार नहीं है। सभी लोग यही कह रहे हैं कि कोई रिश्तेदार या पहचान वाला हो तो देखो । हम गरीबों का कौन सा रिश्तेदार-पहचान वाला बड़ा अधिकारी होगा।'
हरियाणा सरकार के मछली पालन विभाग में मजदूर की नौकरी कर रहे पिंकी रानी के पिता नरेंद्र कुमार कहते हैं, 'अब तो किसी ऐसे ही आदमी की आस है जो पिंकी को प्रमाणित कर दे। समय इतना कम रह गया है कि डर लग रहा है कि उसको मिला यह मौका हम गंवा न दें।'
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