विहिप ने आयोजित किया सर्वजाति सम्मेलन
यह काम कोई राजनीतिक दल करता तो समझा जा सकता था कि जातियों की राजनीति उसकी मजबूरी हो सकती है लेकिन समूचे हिन्दू समाज को इकट्ठा करने का दावा करनेवाला विश्व हिन्दू परिषद यही काम करे तो आश्चर्य होना स्वाभाविक है। रविवार को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित इस सर्वजाति सम्मेलन को विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया ने संबोधित किया और ओबीसी कोटे में मुस्लिम आरक्षण का विरोध किया।
विहिप की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि "ओबीसी कोटे के आरक्षण पर डाका डाल कर हिन्दुओं का हक छीन कर मुसलमानों को देने तथा रंगनाथ मिश्र व सच्चर कमेटी की सिफ़ारिसों के विरुद्ध सभी जाति-बिरादरियों के लोग आज लाम बन्द नजर आए। इसी के साथ हिन्दुओं की सभी जाति बिरादरियों के हजारों लोगों ने हिन्दू रोटी-शिक्षा बचाओ आन्दोलन का सूत्रपात भी किया। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए विहिप के अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डा प्रवीण भाई तोगडिया ने उपस्थित जन समूह को संकल्प दिलाते हुए कहा कि मजहबी आधार पर आरक्षण न संविधान सम्मत है न राष्ट्र हित में अत: इसे किसी भी कीमत पर वापस लेना ही होगा। अन्यथा हिन्दू समाज अपनी रोजी-रोटी व टेक्स के रूप में सरकार के दे रहा धन तीनों को लुटते हुए नहीं देख सकता है। सविधान सभा का हवाला देते हुए उन्होंने ने कहा कि जिस मुसलमान को आरक्षण चाहिए वह पाकिस्तान चला जाए।"
"राजधानी के कोने-कोने से आए सभी जाति बिरादरियों के समूह को सम्बोधित करते हुए जनता पार्टी के अध्यक्ष डा सुब्रह्मण्यम् स्वामी ने कहा कि मुसलमानों ने भारत के ऊपर 800 साल तथा ईसाईयों ने 200 साल राज्य किया तो उन्हें आरक्षण किस बात का। धर्माधारित आरक्षण से देश के एक और विभाजन की नींव रखी जा रही है जिसे हिन्दू जन शक्ति की एकजुटता ही रोक सकती है।"
"भारत में शायद आज यह पहला अवसर था जब एक ही छ्त के नीचे हिन्दुओं की सभी जातियों तथा मत-पंथ सम्प्रदायों के प्रतिनिधि व जन समुदाय एक साथ देखा गया। सभी ने दोनो हाथ उठा कर अल्प संख्यक आरक्षण के नाम पर हिन्दुओं की रोटी व शिक्षा का अधिकार छीने जाने को रोकने के लिए संकल्प किया। इसके अलावा कार्यक्रम में 'हिन्दू रोटी-शिक्षा बचाओ' आन्दोलन का शंख-नाद भी हुआ। इन्द्रप्रस्थ विश्व हिन्दू परिषद द्वारा आयोजित इस महा पंचायत में सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा, आर्य समाज, वाल्मीकि समाज, रैगर समाज, खटीक समाज, जाटव समाज, अग्रवाल समाज, जैन समाज, बौद्ध समाज, शिरोमणी अकाली दल, रामगढिया समाज, सैनी समाज, गूजर समाज, सिख संगत, जयसवाल समाज, अनुसूचित जाति जनजाति मोर्चा, धानक समाज, सांसी समाज, भारदा समाज, यादव समाज, सिकलीगर समाज इत्यादि अनेक जाति, मत-पंथ संप्रदायो के लोगों के अलावा बडी संख्या में संत समुदाय ने भी भाग लिया।"
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