Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter
Follow palashbiswaskl on Twitter

Sunday, June 17, 2012

वित्त मंत्रालय से विदा होते दादा ने मौद्रिक कलाबाजी खाते हुए ब्याज दरों में कटौती का इंतजाम कर दिया!


वित्त मंत्रालय से विदा होते दादा ने मौद्रिक कलाबाजी खाते हुए ब्याज दरों में कटौती का इंतजाम कर दिया!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

बाजार को अपना राष्ट्रपति मिलने का फायदा प्रणव की उम्मीदवारी और जीत तय होते ही मिलने लगा है। जिन औद्योगिक घरानों की पहुंच सरकार, प्रशासन और न्यापालिका में सर्वव्यापी है, वे अब रायसीना हिल्स पर भी काबिज होने लगी हैं। अर्थव्यवस्था की बदहाली के प्रतिकूल​ ​ परिदृश्य में वित्त मंत्रालय से विदा होते दादा ने मौद्रिक कलाबाजी खाते हुए ब्याज दरों में कटौती का इंतजाम कर दिया। कारपोरेट इंडिया के लिए आश्वस्त करने वाल संकेत यह है कि उनके पसंदीदा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह खुद वित्तमंत्रालय संभालेंगे और असल में कामकाज देखेंगे ​​मंटेक सिंह आहलूवालिया और उनकी बाजारू टीम। एक बार फिर रिजर्व बैंक साबित करने जा रहा है कि न अर्थ व्यवस्था और न ही किसी ​​वित्तीय नीति, बल्कि विशुद्ध कारपोरेट लाबिइंग पर निर्भर है मौद्रक कवायद। ममता बनर्जी की राजनीति ने इस समाकरण को नजरअंदाज ​​किया तो वे अकेली खड़ी नजर आ रही है। राजग भी दोराह पर खड़ा है और इस अबूझ पहेली को बूझने की जी तोड़ कोशिस कर रहा है।देश में विकास को गति देने, घरेलू मांग को बढ़ाने और उपभोक्ताओं की भावनाओं को मजबूती देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) वर्ष 2012-13 की मौद्रिक नीति की सोमवार को होने वाली मध्य तिमाही समीक्षा में मुख्य ऋण दरों में 25-50 आधार अंकों की कटौती कर सकता है। देश की अर्थव्यवस्था उच्च महंगाई दरों और निम्न विकास दर के आंकड़ों से जूझ रही है और इससे रिजर्व बैंक पर दरों में कटौती का दबाव बढ़ा है।

उधर अमेरिका में अनिश्चित आर्थिक वातावरण के बीच लागत घटाने के प्रयासों के तहत एचपी और नोकिया सहित दर्जनभर से अधिक बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने इस साल अभी तक 71,000 कर्मचारियों की छंटनी करने की घोषणा की है।विभिन्न क्षेत्र की कंपनियों द्वारा छंटनी की ये घोषणाएं 2012 के पहले छह महीनों के दौरान की गईं। इनमें प्रौद्योगिकी सेवाओं वाली कंपनियों के कर्मचारी सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।जिन कंपनियों ने व्यापक छंटनी की पुष्टि की हैं उनमें एचपी, नोकिया, सोनी कार्प, याहू, पेप्सिको, रायल बैंक आफ स्काटलैंड और लुफ्तांसा प्रमुख हैं।अमेरिकी मंदी की मार से बचने वाल नहीं है भारत क्योंकि भारतीय अर्थ व्यवस्था अब अमेरिका से नत्थी है।उत्पादन प्रणाली ठप है। औद्योगिक और कृषि विकासदर शून्य और शून्य के आसपास है। सेवा क्षेत्र पर सत्तावर्ग को ज्यादा भरोसा है जिसके तार अमेरिका से जुड़े हैं। जाहिर है कि नौकरियों में कटौती बारत में बी होनी है। पर नौकरियां और आजीविका सरकारी चिंता का सबब नही है। उसे तो कारपोरेट साम्राज्यवाद और कारपोरेट इंडिया के हित साधने हैं। नया वित्तमंत्री चाहे कोई हो या पिर मनमोहन मंटेक की जोड़ी के जिम्मे हों,रायसिना हिल में प्रणव की भूमिका अब भी संकटमोचक की बनी रहनी है। इसी लिए विदा होने से पहले ब्याज घटाकर बाजार को आश्वस्त कर रहे हैं वित्तमंत्री।औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर में गिरावट और मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी के मद्देनजर रिजर्व बैंक अपनी मध्य तिमाही मौद्रिक नीति समीक्षा में क्या कदम उठाएगा, इसको लेकर उद्योग जगत की बेचैनी बढ़ गई है। बीते वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि दर घटकर नौ साल के निचले स्तर 6.5 प्रतिशत पर आने के साथ सरकार और अर्थशास्त्री दोनों ही इस बात की वकालत कर रहे हैं कि रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति पर नियंत्रण के बजाय वृद्धि दर को प्राथमिकता देनी चाहिए।गत शनिवार को, वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने भी उम्मीद जताई थी कि रिजर्व बैंक 'मौद्रिक नीति  में समायोजन करेगा। क्योंकि हम राजकोषीय नीति को समायोजित कर रहे हैं।'रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव सोमवार को मध्य तिमाही मौद्रिक नीति की समीक्षा करेंगे और उद्योग जगत को अनुमान है कि आरबीआई रेपो दर में कम से कम चौथाई प्रतिशत की कटौती कर इसे 7.75 प्रतिशत पर लाएगा और साथ ही वह सीआरआर एक प्रतिशत तक घटा सकता है।

माना जा रहा है कि चूंकि अर्थ व्यवस्था को पटरी पर लाना अभी सरकार की सबसे बड़ी चुनौती है इसलिए इस पद पर अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री की पसंद का कोई व्यक्ति आ सकता है।इस कड़ी में पहला नाम है सी रंगराजन का। रंगराजन फिलहाल प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के मुखिया हैं। दूसरा नाम मौंटेक सिंह अहलूवालिया का है। अहलूवालिया योजना आयोग के उपाध्यक्ष हैं, प्रधानमंत्री के करीबी हैं इसलिए इस पद पर बैठ सकते हैं। कहा ये भी जा रहा है कि जयराम रमेश को ग्रामीण विकास के उठाकर वित्त मंत्रालय में भेजा जा सकता है। वो आर्थिक मामलों के जानकार भी हैं और गांधी परिवार के करीबी भी।लेकिन ऐसे फैसले के राजनीतिक सझोकिम के मद्देनजर मनमोहन खुद अपने नाम से वित्तमंत्रालय चलाने का फैसला कर सकते हैं चाहे वित्त मंत्री काम कोई करें। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा वित्त मंत्रालय का कार्यभार अपने हाथों में लेने की चर्चा के बीच उद्योग जगत में नई उम्मीदें जगी हैं। कारोबारी जगत यह भी मानता है कि नए वित्त मंत्री के लिए परिस्थितियां काफी चुनौतीपूर्ण हैं। इस बीच सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह को साधने के बाद कांग्रेस अब प्रणब मुखर्जी के पक्ष में सर्वसम्मति बनाने के प्रयासों में जुट गई है। राष्ट्रपति उम्मीदवार के एलान से पहले खुद को भरोसे में न लिए जाने से नाराज भाजपा नेतृत्व को मनाने के लिए बहुत शीघ्र खुद प्रणब मुखर्जी मिल सकते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी अपने दूतों के जरिये पूरी टोह लेने के बाद भाजपा के अन्य नेताओं से बात कर सकती हैं।दूसरी ओर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकंपा) के नेता पीए संगमा ने रविवार को कहा कि वह अब भी राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल हैं और अपनी उम्मीदवारी के लिए तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी का समर्थन मांगा है। उन्होंने कहा कि राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) नेताओं की बैठक से पहले उन्होंने उनसे मुलाकात कर अपनी उम्मीवारी के लिए समर्थन मांगा।पर मुश्किल यह है कि जयललिता और नवीन पटनायक को राजग के पाले में लाने के लिए संघ परिवार भले उनके नाम पर तैयार हो जायें,​​ दीदी नहीं होंगी क्योंकि संगमा ने तृणमूल छोड़कर दीदी को पूर्वोत्तर में झटका जो दिया हुआ है। इसी लिए किसी और नाम पर विवेचना ​​करने के बजाय, चाहे कलाम तैयार हों या नहीं, दीदी ने फेसबुक पर दीदी के लिए जनमत बनाने की मुहिम छेड़ दी है। मजे की बात है कि ​​राष्ट्रपति के लिए चुनाव अप्रत्य़क्ष है और आम जनता की इसमें कोई भागेदारी नहीं होती। फेसबुक के जरिए जनता से सीधे संवाद करने से​ ​ बाजार के समीकरण नहीं बदलेंगे, ब्याज दरों में कटौती का इंतजाम करके प्रणव दादा ने जिस और पुख्ता कर दिया है, अब वे लगभग अपराजेय स्थिति में है। अब देखना है कि बाजार के खिलाफ विद्रोह करके वामवधकारिणी दीदी की मां माटी मानुष की सरकार का अंजाम क्या होता है।​​ अभी तो ताजा खबर  है कि उनके राजनीतिक शक्तिस्थल कोलकाता के ब्रिगेड मैदान को रक्षा मंत्रालय ने अभयारण्य बनाने का फैसला कर लिया है और यह महज संयोग नहीं है।

राष्ट्रपति पद के संप्रग के उम्मीदवार प्रणव मुखर्जी के विरूद्ध प्रत्याशी उतारने या नहीं उतारने को लेकर राजग में मतभेद कायम है और इस बारे आज विपक्ष के इस गठबंधन की बैठक में किसी निर्णय पर नहीं पंहुचा जा सका।प्रमुख घटक दल शिवसेना के बिना राजग के कार्यकारी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी के निवास पर हुई इस  महत्वपूर्ण बैठक के बाद इस गठबंधन के संयोजक और शरद यादव ने संवाददाताओं से कहा, ' आज की बैठक में यह राय बनी कि इस मामले में कोई सही फैसला करने के लिए अभी और विचार करने और राजग शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से विचार विमर्श करने की जरूरत है।'

देश के शेयर बाजारों में शुक्रवार को समाप्त हुए कारोबारी सप्ताह में तेजी का रुख रहा। प्रमुख सूचकांकों सेंसेक्स और निफ्टी में इस सप्ताह लगभग 1.4 फीसदी तेजी रही। शेयर बाजारों पर इस सप्ताह भारतीय रिजर्व बैंक की मध्य तिमाही समीक्षा में सोमवार को दरों में कटौती की सम्भावना का सकारात्मक असर देखा गया।

एडवांस टैक्स के आंकड़े अर्थव्यवस्था की सुस्त हालत बयां कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने पहली तिमाही में 850 करोड़ रुपए का एडवांस टैक्स भरा है जबकि पिछली बार कंपनी ने 900 करोड़ रुपए का एडवांस टैक्स भरा था।आईटी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी TCS पिछले साल की तरह ही 250 करोड़ रुपए का एडवांस टैक्स दे सकती है। हालांकि बैंकों की हालत थोड़ी बेहतर नजर आ रही है और सूत्रों से मिली खबरों के मुताबिक देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने पहली तिमाही में 1100 करोड़ रुपए के मुकाबले 1170 करोड़ रुपए का एडवांस टैक्स दिया है।सूत्रों के मुताबिक एचडीएफसी बैंक ने 255 करोड़ रुपए के मुकाबले इस बार 300 करोड़ रुपए एडवांस टैक्स का भुगतान किया है। सीआईसीआई बैंक ने भी पिछले बार के 400 करोड़ रुपए के मुकाबले 500 करोड़ का एडवांस टैक्स भरा है।जानकारी के अनुसार ओएनजीसी चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में एडवांस टैक्स के रूप में 1,300-1,400 करोड़ रुपए का भुगतान कर सकती है। पिछले वित्त वर्ष की सामान तिमाही में कंपनी ने 10,70 करोड़ रुपए एडवांस टैक्स दिया था।

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़े के मुताबिक देश के औद्योगिक उत्पादन में अप्रैल महीने में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 0.1 फीसदी की मामूली वृद्धि रही। आंकड़े के मुताबिक कारोबारी साल 2011-12 के लिए औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर 2.8 फीसदी रही, जो इससे पिछले वर्ष 8.2 फीसदी थी। इस अवधि में खनन और विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट रही।आलोच्य अवधि में खनन क्षेत्र में 3.1 फीसदी की गिरावट रही, जबकि विनिर्माण क्षेत्र में 0.1 फीसदी वृद्धि रही। बिजली क्षेत्र में हालांकि 4.6 फीसदी वृद्धि रही। मार्च में औद्योगिक उत्पादन में 3.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। यह गिरावट अक्टूबर 2011 के बाद सबसे बड़ी गिरावट है। अक्टूबर 2011 में इसमें 4.7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में फरवरी माह में 4.1 फीसदी की वृद्धि रही थी।

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक कारोबारी साल 2011-12 के लिए औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर 2.8 फीसदी रही, जो कि पिछले वर्ष 8.2 फीसदी थी। रिजर्व बैंक सोमवार को मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा जारी करेगा और आलोच्य अवधि में सामने आए कमजोर आर्थिक संकेतकों के कारण उम्मीद जताई जा रही है कि नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) और रेपो दर में कटौती हो सकती है।दरों में कटौती का संकेत देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को उम्मीद जताई थी कि सुस्त विकास दर और उच्च महंगाई दर से सम्बंधित चिंता को दूर करने के लिए रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति को समायोजित करेगा।मुखर्जी ने कहा था कि सभी पहलुओं को देखते हुए मुझे विश्वास है कि वे (रिजर्व बैंक) मौद्रिक नीति को समायोजित करेंगे। उन्होंने कहा कि मुख्य रणनीति घरेलू मांग को बढ़ाने की होनी चाहिए। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वित्त वर्ष 2011-12 की अंतिम तिमाही में नौ साल के निचले स्तर 5.3 फीसदी पर पहुंच गई।

उधर खाद्य महंगाई दर मई में बढ़कर फिर से दोहरे अंक (10.74 फीसदी) में पहुंच गई। इससे पिछले माह में यह 8.25 फीसदी थी। महंगाई दर मई माह में 7.55 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई। अप्रैल महीने में इसमें 7.23 फीसदी की बढ़त थी। आलोच्य अवधि में भोज्य पदार्थो की कीमतों में तेज वृद्धि दर्ज की गई। सब्जी, दाल, दूध, अंडे, मांस और मछली के दाम बढ़े और खाद्य महंगाई दर दोहरे अंकों में 10.74 फीसदी पर पहुंच गई।

सब्जियों की कीमत आलोच्य अवधि में साल दर साल आधार पर 49.43 फीसदी बढ़ी, आलू की कीमत 68.10 फीसदी, दूध की कीमत 11.90 फीसदी, अंडे, मांस और मछलियों की कीमत 17.89 फीसदी और दाल की कीमत 16.61 फीसदी बढ़ी। इसी अवधि में विनिर्मित उत्पाद 5.02 फीसदी, ईंधन और बिजली 11.53 फीसदी और पेट्रोल 10.51 फीसदी महंगे हुए।

No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

Welcome

Website counter

Followers

Blog Archive

Contributors