Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter
Follow palashbiswaskl on Twitter

Sunday, November 30, 2014

विश्व हिंदू कांग्रेस में 'पूर्ण हिंदू राज' का सपना संजीव चंदन बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए

विश्व हिन्दू कांग्रेस, दिल्ली

दिल्ली में 21 से 23 नवबंर के बीच हुई विश्व हिंदू कांग्रेस में चरमपंथ, नारीवाद, भौतिकतावाद, भाषा आदि कई विषयों पर बात हुई.

इसमें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को समाप्त करने और सरकारी नियंत्रण से पूरी तरह मुक्त निजी शिक्षण संस्थानों की भी वकालत हुई.

पढ़ें संजीव चंदन की पूरी रिपोर्ट

'हिंदू' शब्द के साथ साधारणतया बिंब बनते हैं नदियों के किनारे स्नान करते श्रद्धालुओं के या मंदिरों की क़तार में खड़े दर्शनार्थियों के (प्रायः गरीब और मध्यवर्गीय), जटा बढ़ाए तिलकधारी साधुओं के या संगम स्नान के लिए आक्रामक अंदाज में घाटों पर उमड़े नागा साधुओं के.

विश्व हिन्दू कांग्रेस, दिल्ली

ये बिम्ब बदले पिछले दिनों राजधानी के दो बड़े होटलों अशोका और सम्राट में हुए तीन दिवसीय विश्व हिंदू कांग्रेस के आयोजन में.

सम्मेलन में शामिल थे टेक्नोक्रेट, बुद्धिजीवी और 'स्त्रीवादी' दावों से लैस महिलाएं.

सम्मलेन के वक्ताओं के अनुसार, यह हिंदुत्व के उत्साह का वर्ष है और 1947 के बाद 2014 दूसरा महत्वपूर्ण वर्ष है.

यह उत्साहित जमात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सैकड़ों साल बाद 'पूर्ण हिंदू राज' का सपना साकार होता देख रही है.

'यूजीसी भी ख़त्म हो'

मोहन भागवत, अशोक सिंघल

हिंदुत्व का यह चेहरा वेदों में संपूर्ण आधुनिक ज्ञान–विज्ञान की मौजूदगी के प्रति आश्वस्त है. विमान से सर्जरी तक में निपुण अपने हिंदू पूर्वजों की विरासत से खुद को संपन्न मानते हुए व्यावहारिक भी है.

यह हिंदुत्व नए मुहावरों और शब्दावली के साथ हिंदू कॉर्पोरेट हित के प्रति सचेत है. इसीलिए 'शिक्षण सत्र' के वक्ता 'राइट टू टीच' के नारे के साथ सरकारी नियंत्रण से पूरी तरह मुक्त निजी शिक्षण संस्थानों की वकालत करते दिखे.

एआईसीटीई (ऑल इंडिया टेक्निकल एजुकेशन) और यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) को अप्रासंगिक बताते हुए इन्हें ख़त्म करने की पुरज़ोर मांग उठा रहा है. इसके लिए वे प्रधानमंत्री की 'विज़डम' के प्रति आश्वस्त भी हैं क्योंकि उनके अनुसार 'योजना आयोग को समाप्त कर' प्रधानमंत्री ने इसकी पहल कर दी है.

ख़तरे

निर्मला सीतारमण, किरण बेदी

फॉरवर्ड प्रेस के संपादक प्रमोद रंजन कहते हैं, "पाठ्यपुस्तकों में बदलाव के अलावा शिक्षा में ढांचागत बदलाव का यह हिंदू दबाव साफ़ संकेत देता है कि शिक्षा गुरुकुलों आचार्यों की इच्छा के अनुरूप तय हो– वे ही तय करेंगे कि किसे और कैसी शिक्षा दी जानी है. मनुकाल की वापसी का डर है."

हिंदुत्व के रणनीतिकार वाकिफ़ हैं कि महज़ उत्साह से लोगों को 'हिंदुत्व के दिग्विजय अभियान' में शामिल नहीं किया जा सकता.

इसीलिए हिंदू कांग्रेस जहां नई शासन व्यवस्था के प्रति आश्वस्त दिखी, वहीं डर का वातावरण भी दिखा. वक्ताओं के अनुसार आस्था में 'आत्मतुष्ट हिंदुओं' पर 'धर्मांतरण का ख़तरा' है.

वक्ताओं ने 20वीं सदी को सबसे ख़तरनाक सदी बताया जिसमें उनके अनुसार मुसलमानों और ईसाइयों की आबादी 10 प्रतिशत बढ़ गई है. अलग–अलग सत्रों में कई ख़तरों की भयावह तस्वीरें पेश की गईं, जैसे लव जिहाद, मुस्लिम चरमपंथ, मार्क्सवाद, मैकालेवाद और मिशनरियों से ख़तरा.

किरण बेदी, विश्व हिन्दू कांग्रेस, दिल्ली

प्रमोद रंजन कहते हैं, "यह हिंदू उत्साह भारत की बहुलतावादी संस्कृति के ख़िलाफ़ माहौल बना रहा है. इसके प्रति सचेत होने का समय आ गया है."

महिला सत्र में 'लव जिहाद' एक बड़ा मुद्दा था. वक्ताओं ने हिंदू महिलाओं की कोख पर ख़तरे की तस्वीरें पेश की. वक्ताओं ने ऐसी हिंदू लड़कियों के उदाहरण रखे जो इसकी शिकार हुईं.

सत्र में महिलाओं की मुख्य चिंता भी हिंदुत्व के प्रति ख़तरा ही थी, न कि उनके अपने अधिकार.

'सिंहासन' दिल्ली

विश्व हिन्दू कांग्रेस, दिल्ली

सम्मलेन का मुख्यभाव था कि दिल्ली की गद्दी पर सैकड़ों साल बाद एक हिंदू नेतृत्व बैठा है. कई लोगों का मानना था कि पहली बार हिंदुओं और संघ को आगे बढ़कर सक्रियता दिखाने का मौक़ा मिला है, जबकि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में यह छूट नहीं थी.

शायद इसीलिए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इसे शिक्षा, मीडिया और नेतृत्व को हिंदुत्व के विचारों से संपन्न बनाने के अवसर के रूप में देखा, तो विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महासचिव प्रवीण तोगड़िया ने इसे 'सुरक्षित, समृद्ध और संयुक्त हिन्दू समाज' के लिए अनुकूल अवसर माना.

प्रवीण तोगड़िया, विश्व हिन्दू कांग्रेस, दिल्लीविश्व हिन्दू परिषद के नेता प्रवीण तोगड़िया विश्व हिन्दू कांग्रेस, दिल्ली में बोलते हुए.

हिंदू विश्व कांग्रेस में शामिल होने वालों में वर्द्धा हिंदी विश्वविद्यालय के चांसलर प्रोफ़ेसर कपिल कपूर, सीबीएसई के चेयरमैन विनीत जोशी, जेएनयू के प्रोफ़ेसर रजनीश मिश्रा और सीएसआईआर की वैज्ञानिक अलकनंदा सिंह के अलावा कई प्रतिष्ठित सरकारी संस्थानों के लोग लोगों के नाम थे.

इसके अलावा वक्ताओं में देश की पहली महिला आईपीएस अफ़सर रहीं किरण बेदी भी थीं.

पहली विश्व हिंदू कांग्रेस बुद्धिजीवियों के लिए 'त्रिदिवसीय वैदिक यज्ञ शिविर' सा था, जहां हिंदी-हिंदू-हिंदुस्तान के प्रवक्ताओं ने ज़्यादातर अंग्रेजी में अपनी बात रखी, यानी 'मैकाले' की भाषा में, जिसके ख़िलाफ़ वहां पर्चे बंट रहे थे और जिसे पांच 'मयासुरों' में शुमार किया गया था. चार अन्य मयासुर हैं - मार्क्सवाद, मिशनरी, भौतिकतावाद और मुस्लिम चरमपंथ.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक औरट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)

इस खबर को शेयर करें शेयरिंग के बारे में

No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

Welcome

Website counter

Followers

Blog Archive

Contributors