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Thursday, August 6, 2015

हमने अपनी भाभी से वायदा किया है कि हम साथ हैं तो भरोसा रखें,वीरेनदा को साथ छोड़कर जाने न देंगे।

हमने अपनी भाभी से वायदा किया है कि हम साथ हैं तो भरोसा रखें,वीरेनदा को साथ छोड़कर जाने न देंगे।
पलाश विश्वास
कल वीरेनदा का जन्मदिन बीत गया।फोन पहले भाभी ने उठाया और फिर हमने ददा का हालचाल पूछा तो भाभी ने कहाकि ठीक हैं लेकिन थके हुए हैं।भाभी  ददा को फोन थमाती इससे पहले हमने अपनी भाभी से वायदा किया है कि हम साथ हैं तो भरोसा रखें,वीरेनदा को साथ छोड़कर जाने न देंगे।

वीरेनदा ने फोन उठाते ही पूछ लिया कि सविता कैसे है।यह भी पूछा कि टुसु कैसे है क्या कर रहा है।

फिर लंबा गपशप चला जैसा कि इलाहाबाद में हम जब पहलीबार मिले थे खुसरो बाग में सुनील श्रीवास्तव के घर में नीलाभ और उपेंद्रनाथ अश्क के मकान के पास।

तब मंगलेश उनके रूम पार्टनर हुआ करते थे।

तब भी हमारी भाभी उनके साथ थीं।

तब से न हमारी भाभी बदली हैं न वीरेनदा बदले हैं।

हमने फिर दोहराया कि वीरेनदा तुमको कुछ भी नहीं हुआ है।

वीरेनदा ने कहा कि यार दिल्ली में मन अब रम नहीं रहा है और फिर अपने शहर वापस जाना है।

राजीव और मीनाभाभी कुछदिनों पहले ददा से मिलकर आये हैं।

वहां से लौटकर राजीव ने कहा कि ददा को फोन कर लो बहुत याद कर रहे हैं।

हमने फोन नहीं किया।

हम उनके जन्मदिन का इंतजार कर रहे थे।

आगे भी हम हरसाल उनके जन्मदिन का इंतजार करते रहेंगे उनसे गपशप का सिलसिला इसीतरह जारी रहेगा।

हमारे भरोसे की खास वजह यूं कहें कि वीरेनदा की कविताएं हैं,जो वे अब भी लिख रहे हैं।

उनमें कविताएं जब तक जिंदा रहेंगी,तब तक उनका कुछ बिगड़ ही नहीं सकता,ऐसा मेरा पक्का यकीन है।

वैसे भी सदियों और सहस्राब्दियों तक किसी कवि की मौत होती नहीं है।

कौन कहता है कि सुकांत या पाश या नवारुणदा या मुक्तिबोध मर गये।

वे हमारे तमाम प्रियकवि हमरे भीतर अलख न जगा रहे होते,तो हम जी नहीं रहे होते।

जी रहे होते तो बस दिन कट रहे होते।

ऐसे कटते दिन कि खून भी नहीं निकलता और हम लहूलुहान भी न होते। 

हमने वीरेनदा से कहा कि जल्द ही गुलामी से आजाद हो जाउंगा और तब गपशप जमकर करेंगे।

इसपर वीरेनदा ने कहा कि फिर बरेली में मिलते हैं।

हमने कहा कि वो घर तो बेच दिया है।

वीरेनादा ने कहा कि उसी घर के बगल में ही नया घर खरीदा है।तुम घर आओ तो सीधे बरेली आ जाना।

बाई आशुतोष ने उनके जन्मदि न पर कुछ तस्वीरें फेसबुक पर चस्पां कर दी हैं।

आभार के साथ वे तस्वीरें शेयर कर रहा हूं।

इससे पहले वीरेनदा की आवाज में वीरेनदा की कविताः

साथी Irfan के सौजन्य से प्रियतम कवि की आवाज सुनते हुए, उसके जन्मदिन पर। मुबारक हो Virendra दा।






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