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Thursday, May 2, 2013

आप बस उसका शव हम को सौंप दीजिये…हमारे यहाँ ज़िन्दा लोगों पर सियासत नहीं होती है…

दो मुल्कों की सियासी जंग और नफरत की भेंट एक और निरीह इंसान चढ़ गया। खबर आ रही है कि पाकिस्तान में पिछले 23 सालों से कैद सरबजीत की लाहौर के जिन्ना अस्पताल में मृत्यु हो गयी है। घटना पर प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह समेत कई हिन्दुस्तानी और पाकिस्तानी पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने पाकिस्तान सरकार के रवैये पर नाराज़गी जताई है। सोशल नेटवर्किंग ट्विटर पर कई लोगों ने ट्वीट किया है। और सरबजीत की लाश पर भारत में सियासत भी शुरू हो गयी है।

प्रधानमन्त्री डॉ. मनमोहन सिंह की ओर से पीएमओ द्वारा किये ट्वीट्स में कहा गया है-

May his soul be granted the peace that he could not enjoy in life. The nation shares his family's profound grief with them……Particularly regrettable that the Govt of Pakistan did not heed the pleas….  to take a humanitarian view of this case. ……The criminals responsible for the barbaric and murderous attack on Sarabjit Singh must be brought to justice….. Government will make the arrangements to bring his remains home and for his last rites to be conducted in consultation with his family.

वरिष्ठ पत्रकार निखिल वागले ने ट्वीट किया है -Sarabjit had warned about threats to his life after kasab n afzal's hanging. We did nothing. First chamel singh n now sarabjit. Shame. ……. Its futile to hope Pak will ever investigate sarabjit's death. Attack was a step in large gameplan. But Indian response was hopeless too.

वरिष्ठ पत्रकार प्रभु चावला ने ट्वीट किया है … where are the dialogue hawkers hiding? Shun them socially?

एक तरफ जहाँ पाकिस्तान में मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार बीना सरवर इस घटना पर लगातार पाकिस्तान सरकार के रवैये की आलोचना कर रही हैं तो हमारे देश में इस पर सियासत शुरू हो गयी है। आम आदमी पार्टी के डॉ. कुमार विश्वास ने ट्वीट किया है- सरबजीत के साथ हिंदुस्तानी सरकार के आत्मसम्मान की मृत्यु पर हार्दिक शोक.स्वर्ग में दसों गुरु लज्जित हुए दिल्ली की नपुंसक सरकार,सरदार को देखकर।

भाजपा नेत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट किया है- It is a cold blooded murder. This is not the way civilized nations behave. #Sarabjit Singh

सरबजीतकिरन बेदी ने ट्वीट किया है – Very foreign prisoner has consulate/embassy visit rights to him.This ensures grievance redressal. Was this being done? RTI?…… Indian Consulate must answer*when did they last visit Sarabjit Singh*what did he tell them*if complained what did they do?…… Sarabjit's death inside Pakistan prison was preventable.Need to find out if r Counsulate in Lahore was regularly visiting him?

पाकिस्तानी मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार बीना सरवरलगातार ट्विटर पर अपडेट कर रही हैं और लोगों के जवाब भी दे रही हैं। उनके कुछ ट्वीट और कुछ जवाब देखें- Several instances of Pakistani (prob also Indian) prisoners/guards killing prison inmates in past. Worse when victim is from 'other' country…. RT @zaakbar: even when law takes its course, Not only must justice be done; it must also be seen to be done…. Meant to RT @ramindersays: #SarabjitSingh's death would strengthen the walls of hate & mistrust between #India & #Pakistan, sad development….. RT @0h_shoot: u shud also salute Nelson Mandela coz he was also in imprisonment for 27 years while he was fighting 4 the rights of black ppl….. @shobz Sarabjit was in solitary until recently. How did the jail authorities let him out in the yard with other prisoners, esp given… Until recently in solitary RT @shobz: they should have placed him in a separate holding area. The authorities have blood on their hands…. @waqarsolo1 What justice do you see in a murderous attack on an unarmed prisoner who's been in solitary confinement for 22 years?…. Jingoism and bigotry, not patriotism RT @Sunny_56dx: @beenasarwar the only thing I can say is humanity lost patriotism dominated…… RT @drjanjua: @beenasarwar @ibad888 @IMRANTHS @Arshad_Afridi  Whatever his crime was, no body deserves to die like that. what a shame….. RT @rammatai: @alisalmanalvi @AamAwam if law would have taken its course we would not have objected.but attacking in jail is unjustifiable…

फेसबुक पर भी सरबजीत की मृत्यु पर प्रतिक्रियाएं जारी हैं। लेखक प्रभात रंजन ने लिखा है- "भाजपाइयों, सरबजीत को सच्ची श्रद्धांजलि देना चाहते हो तो उनकी मौत पर राजनीतिक रोटियां सेंकना बंद करो।"..इसी कमेन्ट थ्रेड में उन्होंने लिखा है- " मुझे अफ़सोस यह हुआ कि नरेन्द्र मोदी जैसे आदमी का बयान आ रहा है सरबजीत की दुखद मौत पर. वे गुजरात की हत्याओं पर कोई बयान क्यों नहीं देते."

वरिष्ठ पत्रकार जगमोहन फुटेला ने फेसबुक पर लिखा है- "Lets not cry. Lets not weep. To me, Sarabjit is the greatest Indian who brought lacs n lacs people emotionally closer from both the countries despite three wars. Lets salute to the brother of humanity…Also to Dalbir Kaur who told the world what the sisters are all about."

युवा पत्रकार मयंक सक्सेना फेसबुक पर लिखते हैं- हां, चलिए माना कि आप दुनिया के सामने नहीं मान सकते कि वो आपका आदमी थी…लेकिन उसके परिवार की ज़िम्मेदारी भी आप ने कितनी उठाई? ….. सीआईए, मोसाद, केजीबी, रॉ, आईएसआई….ये सब एक जैसे ही हैं…इनका सिर्फ एक ही सिद्धांत है…USE AND THROW

मयंक एक अलग स्टेटस में जोरदार तमाचा जड़ते हैं- आप बस उसका शव हम को सौंप दीजिये…हमारे यहाँ ज़िन्दा लोगों पर सियासत नहीं होती है…

पत्रकार अकबर रिज़वी लिखते हैं –"तुम दुखी हो! तुम कहते हो- वह मर गया! हमारे बीच नहीं रहा! यह भावहीन रूदन है तुम्हारा। मैं पूछूँ- वह ज़िन्दा कब था? ज़िन्दगी तो दशकों पहले ही रूठ गई थी- उससे। लाश ढोने का नाम तो ज़िन्दगी नहीं होती! सांस चलने का मतलब ज़िन्दगी नहीं होती! तुम रोओगे। घड़ियाली आँसू के साथ घंटा भी बजाओगे। मैं पूछूँ- अगर तुम्हारी दुनिया एक अँधेरी कोठरी तक सीमित कर दी जाए, सपनों का गला घोंट दिया जाए। उम्मीदों का अपहरण कर लिया जाए और फिर चुपके से एक दिन कोई तुम्हारी सांसें चुरा ले जाए, तो क्या तुम्हें मौत का एहसास होगा? छोड़ो भी, मौत को मौत ही रहने दो। रूह को सकून तो मिले… लेकिन नहीं, तुम ऐसा नहीं करोगे। तुम मौत को नारों में तब्दील कर दोगे। पुरानी परंपरा है, लोकतंत्र के बियाबाँ में गिद्धों का मेला।"

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