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Saturday, June 8, 2013

घसिया जनजाति की गर्भवती महिला पर पुलिसिया कहर और चार निर्दोश युवकों को जबरिया उठाकर ले जाने के संदर्भ में।

घसिया जनजाति की गर्भवती महिला पर पुलिसिया कहर और चार निर्दोश युवकों को जबरिया उठाकर ले जाने के संदर्भ में।

सेवा में,
श्रीमान् पुलिस महानिदेशक,
लखनऊ। 


महोदय,

हम आपका ध्यान सोनभद्र जिले के राबर्ट्सगंज स्थित रौप घसिया बस्ती की ओर आकृष्ट कराना चाहुँगा, जहाँ आज 09 जनवरी, 2012 को लगभग 01ः00 बजे दोपहर में 6-7 चार पहिया और दो तीन मोटर साईकिल के द्वारा कोतवाली थाना राबटर््सगंज तथा चुर्क पुलिस चैकी के पुलिस वाले पहुचे और अचानक हमला करते हुए लोगों को पकड़कर गाड़ी में बैठाने लगे। जब वहाँ उपस्थित महिलाओं के साथ लोगों ने पूछा कि पहले हमें वारंट या पकड़ने की कोई कागजात दिखाओं तब हमें गिरफ्तार करों। इतना सुनते ही बिना कुछ कारण बताये पुलिस वाले लाठी चार्ज कर दिये, जिसमें 30-35 बच्चे, महिलाये और बुजुर्ग लोगों के साथ नवयुवक घायल हो गये। उसी दौरान एक गर्भवती महिला दुलारी देवी, पत्नी-रामसुरत का गर्भपात हो गया, बच्चा तो जीवित है लेकिन पीडि़ता अभी भी बेहोष है, जिसे लाठियों से बेरहमी से पिटाई की गयी और इसके पति के साथ तपेसर, पुत्र-स्व0 चरखू, सदेष, पुत्र-सुरेन्द्र, लल्ला, पुत्र-नरेष को जबरदस्ती गाड़ी में बैठाये और उठाकर ले गये। समुदाय वालों को यह भी नही पता कि इन लोगों को कहा रखा गया है। 

विदित हो कि आज स्व0 चरखू का तेरही था, जिसका पूरा खान-पान का इंतेजाम किया गया था, जिसे पुलिस वाले तहस-नहस करते हुए यह अमानवीय और घोर अत्याचार का ताण्डव वहाँ खेले। इस घटना के बाबत जब मानवाधिकार कार्यकर्ता द्वारा पुलिस अधीक्षक को फोन किया गया, तब उन्होंने जवाब दिया कि किसी कारण वश पुलिस वाले बस्ती में गये होगें, हम पता लगाते है। इसके बाद मानवाधिकार कार्यकर्ता द्वारा जिलाधिकारी को फोन लगाया गया तब दो-तीन बार फोन करने के बाद बस्ती में किसी अधिकारी को भेजा गया, जो वहाँ पर दौरा कर घायलों को केवल बयान लिए है और बोले कि हमारे साथ उन चारों परिवार के लोग चलो उन्हें भी आधा घण्टा के बाद छुड़वा देगें, लेकिन अभी तक साथ जाने वाले अभिभावको व परिजनों का भी कुछ अता-पता नही है। 

घटना के बाद जब जिला अस्पताल लोढ़ी (राबर्ट्सगंज) में मेडिकल कराने के लिए गए पीडि़तों को इमरजेंसी में तैनात डाक्टर नसे के हालत में गाली-गलौज कर वहाँ से भगाने लगा। जब इसका विरोध किया गया तब डाक्टर ने कहा पहले एफ0आई0आर0 दर्ज कराओं और उसकी प्रतिलिपि लेकर आओ तब मेडिकल जाँच होगी। 

महोदय पुलिस वालों के द्वारा उत्पीडि़त पीडि़तों की एफ0आई0आर0 अगर पुलिस थाना या चैकी दर्ज करती है तब तो एफ0आई0आर0 कराया जा सकता था और फिर मेडिकल जाँच होती, लेकिन यहाँ साफ-साफ दिखाई पड़ रही है कि पुलिस वालों के साथ-साथ डाक्टर भी इस गैर कानूनी और अमानवीय कृत्य में सहयोग कर रहे है। 

गिरफ्तारी, हिरासत एवं पूछताछ के सम्बन्ध में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिये निर्देशों को उल्लंघन किया गया साथ ही डाक्टर द्वारा शराब के नशे में आपातकालीन चिकित्सकीय निर्देशों का उल्लंघन किया गया। 

अतः श्रीमान् से निवेदन है कि गर्भवती महिला और अन्य पीडि़तों को मुआवजा एवं सुरक्षा दी जाए तथा गिरफ्तार किये गये लोगों को कानूनी सहायता उपलब्ध करायी जाए तथा दोषी पुलिस कर्मियों एवं डाक्टर के खिलाफ न्यायोचित कानूनी कार्यवाही करने की कृपा करें। 

भवदीय

(डा0 लेनिन)
महासचिव

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