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Tuesday, January 27, 2015

ओबामा ने सचमुच दुल्हनिया लूट ली है,मोदी रह गये बिन दुल्हन के कुर्ता में नामावली टांकके,जयहो मोदी! जय हो ओबामाकृष्ण! पलाश विश्वास


ओबामा ने सचमुच दुल्हनिया लूट ली है,मोदी रह गये बिन दुल्हन के
कुर्ता में नामावली टांकके,जयहो मोदी! जय हो ओबामाकृष्ण!
पलाश विश्वास
ओबामा ने सचमुच दुल्हनिया लूट ली है,मोदी रह गये बिन दुल्हन के कुर्ता में नामावली टांकके,जयहो मोदी! जय हो ओबामाकृष्ण!

नजारा एइसन ह के एडेलवाइस फाइनेंशियल सर्विसेज में व्होलसेल कैपिटल मार्केट्स के सीईओ विकास खेमानी कहिस कि छोटी अवधि के नजरिये से बाजार थोड़े महंगे हैं लेकिन एफआईआई निवेशकों का बड़ा पैसा बाजार में आना अब भी बाकी है। बजट में होने वाले ऐलानों को हाल की रैली में बाजारों ने काफी हद तक पचा लिया है।



The Crucial issues that Obama always leaves out. By Cliff Carbaugh.
The State Of The Union speech by Obama: 'The house is on fire and Obama is telling us to sweep the sidewalk and trim the hedges. There was no mention at all of: The foreign-power that has taken over our government, (Rothchild-Zionists,) and are totally in control of the foreign and domestic policies of the U.S.A. That the wealthiest 1% own more than the bottom 50+%. That the U.S.A. is an oppressive, over-militarized police-state. Ending the (unconstitutional) Federal Reserve. Prosecute the treasonous murderers that used their position in the U.S. Government to aid- and be complicit with, the (Inside-job) 9-11 "false-flag." That we are fighting all of Israel's little wars for them to enable them to establish their "Greater-Israel." .... No, Mr. President, the State of the Union is NOT strong- The State of the Union is dysfunctional and unsustainable. We will see if the masses are content with "expanded child-care programs."'
Cliff Carbaugh's photo.

जगदीश्वर चतुर्वेदी की इस टिप्पणी पर गौर करेंःयह देश के अमीरों के लिए ख़ुशी की बात है मोदी जी ने दस लाख की क़ीमत वाला सूट पहनकर ओबामा से मुलाक़ात की, क्या कोई बताएगा कि पीएम के पास शाही सजधज के पैसे कहाँ से आ रहे हैं? क्या यह भारत की जनता के नाम पर मौज है?
The first day of Barack Obama's visit to India was marked by a breakthrough on the two countries' nuclear deal but there was also an unexpected fashion...
क्या यह कोई नयी टेक्सटाइल कंपनी है? सियाराम सिल्क मिल्स से मंहगा है या सस्ता, किसी के पास कोई जानकारी ?
क्या यह कोई नयी टेक्सटाइल कंपनी है? सियाराम सिल्क मिल्स से  मंहगा है या सस्ता, किसी के पास कोई जानकारी ?



गौरेतलब है कि भारत दौरे के आखिरी दिन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एक बार फिर कहा कि वो भारत के साथ रिश्तों को मजबूत बनाना चाहते हैं। दिल्ली के सिरीफोर्ट ऑडिटोरियम में करीब 2000 लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने भारत के साथ न्यूक्लियर एनर्जी के अलावा सोलर और विंड जैसी क्लीन, रिन्यूएबल एनर्जी में सहयोग बढ़ाने की बात कही।

गौरेतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत दौरे पर दोनों देशों के बीच डिफेंस और न्यूक्लियर सेक्टर में बड़े समझौते हुए हैं। दोनों पक्षों में  मैरीटाइम सुरक्षा में सहयोग बढ़ाने पर सहमती के साथ-साथ सैनिकों की केमिकल, बायोलॉजिकल हथियारों से सुरक्षा के लिए किट तैयार करने पर भी सहमति हुई है। डिफेंस फ्रेमवर्क एग्रीमेंट को 10 साल के लिए बढ़ा दिया गया है और हथियारों के संयुक्त विकास पर भी सैद्धांतिक सहमति बनी है। इस करार के तहत यूएवी यानि ड्रोन, सी- 130जे के पुर्जों और स्मार्ट पावर सिस्टम का भी संयुक्त उत्पादन होगा। इस के अलावा दोनों देशों ने आतंकवाद पर खुफिया जानकारियां साझा करने के लिए भी करार किया है।

The Economic Times

Before they left, they said good-bye to India with a "Namaste"
In case you missed it,here are 100 MUST-SEE pics http://ow.ly/I0u99
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इसी अभूतपूर्व कामयाबी के मद्देनजर डाउ कैमिकल्स के वकील वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक बार फिर इस कारोबारी साल में 4.1 फीसदी का वित्तीय घाटे का लक्ष्य हासिल करने का भरोसा जताया है। उन्होंने कहा कि इस समय फॉरेक्स रिजर्व बेहतर स्थिति में है।वित्त मंत्री के मुताबिक फिस्कल घाटे का लक्ष्य हासिल करने में दिक्कत नहीं होगी क्योंकि फॉरेक्स रिजर्व काफी बेहतर स्थिति में है। डॉलर के मुकाबले रुपए में कम गिरावट आई है और डॉलर के मुकाबले दूसरी करेंसी में काफी गिरावट देखी गई है। अरुण जेटली ने करेंट अकाउंट घाटा भी बेहतर रहने की उम्मीद जताई है।

जाहिर है।क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत में चार अरब डॉलर के कारोबारी निवेश का ऐलान किया है।

ओबामाकृष्ण ने कहा कि दोनों देश मिलकर विकास और समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। ओबामाकृष्ण ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुदामा की मौजूदगी में भारत-अमेरिका बिजनेस समिट को संबोधित करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार में अपार संभावनाएं हैं, जिनका अब तक पर्याप्त इस्तेमाल नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा कि उनका देश भारत में चार अरब डॉलर का कारोबारी निवेश करेगा। ओबामा ने कहा कि हरित ऊर्जा के क्षेत्र में दो अरब डॉलर का निवेश किया जायेगा।

इसीलिए तो डाउ कैमिकल्स के वकील वित्त मंत्री अरण जेटली ने कहा है  कि चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य प्राप्त हो जाने की संभावना है और विनिर्माण क्षेत्र में सुधार के संकेत दिख रहे हैं। जेटली ने कहा 'हमारी मुद्रा उन दो वैश्विक मुद्रा में शामिल जो अमेरिकी डालर की ताकत का मुकाबला किया। ज्यादातर वैश्विक मुद्राएं दबाव में हैं।' वित्त मंत्री ने कहा कि पिछला एक सप्ताह बड़ी सीख भरा रहा 'पिछले कुछ दिनों में मुझ लगा है कि सामान्यत: भारत के लिए हर बात ठीक हो रही है।'

डाउ कैमिकल्स के वकील उन्होंने कहा 'पिछले दो-तीन साल से निराशा पैदा करने वाली नरमी के बाद अब अचानक लगता है कि हमारी वृद्धि तेज हो सकती है।

बहरहाल अर्थव्यवस्था का कच्चा चिट्ठा यह है कि ओबामाकृष्ण के गीता  प्रवचन के मध्य  हफ्ते के शुरुआती कारोबार के दौरान रुपए की शुरुआत कमजोरी के साथ हुई है। डॉलर के मुकाबले रुपया 8 पैसे की गिरावट के साथ 61.50 के स्तर पर खुला।

बताया गया है कि आयातकों की ओर से डॉलर की मांग बढ़ने के कारण रुपए की विनिमय दर में गिरावट आई हालांकि घरेलू शेयर बाजार में तेजी के रुख से इसमें ज्यादा गिरावट नहीं आ सकी। फॉरेक्स बाजार में इससे पिछले कारोबारी सत्र के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपया 28 पैसे मजबूत होकर 61.42 रुपये प्रति डालर पर बंद हुआ था जो आज के शुरुआती कारोबार में 9 पैसे कमजोर होकर 61.51 रुपये प्रति डॉलर पर आ गया।


ओबामाकृष्ण ने कहा कि अमेरिका जनधन योजना को लागू करने, स्मार्ट सिटी बनाने में भी भारत की मदद करेगा। ओबामा ने संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी सदस्यता का भी समर्थन किया। साथ ही ओबामा ने कहा कि दोनों देशों के सामने एक जैसी चुनौतियां, लिहाजा भारत और अमेरिका को आतंकवाद से मिलकर लड़ना होगा।
और सोलह हजार गोपिनियां मगन।
तो इसी के मध्य  भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार को 2025 तक 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने के लिए उद्योग जगत ने दोनों देशों से कारोबार को आसान बनाने के उपायों पर जोर देने को कहा है। मौका था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ भारत-अमेरिका सीईओ फोरम की बैठक का। इस दौरान भारतीय उद्योगपतियों ने अमेरिकी कंपनियों के तीसरे देशों में निवेश पर प्रतिबंध, बौद्धिक संपदा अधिकारों और वीजा जैसे कई मुद्दे उठाए। दोनों नेताओं ने फोरम को आश्वस्त किया कि उनकी सरकारें द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए मिलकर काम कर रही हैं।

बराक ओबामा ने सिरीफोर्ट ऑडिटोरियम में संबोधन के दौरान बीच-बीच में हिंदी बोलकर लोगों का दिल जीतने की भी कोशिश की। हिंदी में नमस्ते के साथ उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत की। भारतीयों की खातिरदारी से खुश होकर हिंदी में धन्यवाद दिया। साथ ही जाते-जाते जय हिंद बोलना नहीं भूले।

गौरतलब है कि अबाध पूंजी प्रवाह जारी रखने के लिए शत प्रतिशत  हिंदुत्व की यह बिजनेस फ्रेंडली सरकार कुछ भी करेगी और निवेशको की आस्था चूंकि धर्म आस्था और धर्म की राजनीति से बड़ी है तो उद्योग जगत की सुनवाई धकाधक करते हुए चकाचक बोल दिहिस कल्कि अवतार कि फैसला लेने की प्रक्रिया को तेज और धारदार बनाने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) खुद बड़ी परियोजनाओं पर नजर रखेगा।  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निवेशकों को आश्वासन दिया कि प्रधानमंत्री कार्यालय भारी निवेश वाली बड़ी परियोजनाओं की खुद निगरानी करेगा।

पीएम ने निवेशकों को खुले माहौल का आश्वासन दिया, जिससे निवेश करने में आसानी होगी और कारोबार को फायदा पहुंचाएगा। मोदी ने इन बड़ी परियोजनाओं की प्रगति पर निजी रूप से नजर रखने की एक भारतीय-अमेरिकी फोरम के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और यह वादा किया। परियोजनाओं की निगरानी करने के लिए यूपीए शासनकाल में जिस निगरानी ग्रुप का गठन हुआ था, वह कैबिनेट सचिन के अधीन है और कई लंबित परियोजनाओं को मंजूरी दिलाने में मदद की है। लेकिन, निवेशक इस बात को तरजीह देंगे कि प्रधानमंत्री कार्यालय बड़ी परियोजनाओं की खुद से निगरानी करे जिससे कि फैसला लेने की प्रक्रिया में तेजी आए। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में जान डालने और ओवरऑल ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए लंबित परियोजनाओं को आगे बढ़ाना बहुत जरूरी है।

आज कोलकाता में कोई अखबार छपा नहीं है।
ससुरा अखबर पढ़ते पढ़ते दोपहर हो जायी।
बचपन से अखबार बांचने की आदत बुरी बला है वरना कोई सूचना काम की होती नहीं है राजनीति के गू मूत और धकाधक मनोरंजन के सिवाय।

सोचा जल्द ही पीसी के मुखातिब होकर अपने मन की बातें दर्ज करा दी जाये क्योंकि हमारी मन की पर्सारित प्रकाशित करने की तकलीफ तो कोई उठाने से रहा।

वह ससुर नेटवा दगा कर दिया।
ब्राउज ही हो नहीं रहा था।
मजबूरन सुबह से ओबामा चमत्कार से अभिभूत हूं।

अरसे बाद टीवी ब्राउज करता रहा।
अमेरिका में लेकिन ओबामा का जादू चल नहीं रहा है और अभूतपूर्व बर्फबारी और बर्फीले तूफान से न्यूयार्क समेत आधा अमेरिका आपातकालीन परिस्थिति से जूझ रहा है।

बीबीसी वगैरह चैनल देखकर लगा नहीं कि विश्व नेता की हैसियत मनकी बात से पक्की है या नहीं।

बहरहाल अमेरिका में हथियार उद्योग का पुनर्जन्म हो गया और परमाणु रिएक्टर जो अमेरिका बना नहीं रहा  था वर्षों से वह मेकिंग इन के तहत बनेंगे और भारत में जलवायु और पर्यावरण की अमेरिकी चिंताओं से हमें निजात दिलायेंगे।

अमेरिकी परमाणु रिएक्टर ग्लेशियरों को पिघलने से बचाने की उच्च तकनीक है और अपने गुरुजी खड़गसिंह वाल्दिया जिन्हे मोदी बाबू ने पद्म पुरस्कार से नवाजने की कृपा की है,उनने तजिंदगी हिमालय में दिमाग खपा कर ऐसा कुछ ईजाद किया है या नहीं,हमें नहीं मालूम।

बहरहाल कल देर रात राजीवदाज्यू का जो पोस्ट मिला कि दिल बाग बाग हो गया।अपना डीएसबी कालेज देखने जो पिता के साथ दूसरी या तीसरी में पढ़ते हुए ढिमरी ब्लाक मुकदमे में उनकी और उनके कामरेडों की सजा और रिहाई के बाद निकला था पहलीदफा अयंरपाटा में,तब से लेकर सत्तर के दशक तक जो था अयारपाटा,वह अब होटलों के झुरमुट में तब्दील है।कंक्रीट का जंगल नैनीझील को घेरे हुए।

हमें नहीं मालूम कि अब नैनीताल वाले रोजाना वक्त बेवक्त मौसम के मिजाज के मुताबिक झील का रंग बदलना देख पाते हैं या नहीं।

डीएसबी के दिनों में बाकी शिखरों का कोई अंदाजा नहीं था चूंकि और तब कविता लिखने का शौक भी खूब चर्राया हुआ था,जीआईसी के दिनों में कुछेक कविताएं भी इधर उधर छपने लगी थीं तो सहपाठियों पर कविताई का धौंस रहबै करै हैे।

सहपाठिने तब जीआईसी में नहीं थी और कविता रोमांस का परिणाम शून्य ही रह गया ठैरा।

कविताई के खातिर हम जब तब कोहरे में ,हिमपात में या खिलि खिली धूप में लरिया कांटा,स्नो व्यू,चाइना पीक और टिफिन टाप को छू छा लेकर मुक्तबोध बन रहे थे।

डीएसबी में भी उस बुरी आदत के शिकार रहे हैं हम।

लरिया कांटा अब सैन्य अड्डा है,जहां हम शिकार के लिए जाते थे।स्नो ब्यू तक रोपवे हैं। चाइनापीकवा तक बहुत निर्माण हो गया ठैरा।

बाकी रहा वो जो टिफिन टाप,उसका करिया कर्म अब हो रहा है।वहां तक जीपेबल रास्ता बनवा रहे हैं हरीश रावत जी।

ठेकेदारों की जो चांदी होगी सो होगी,अपना नैनीताल गांतोक बन रहा है तेजी से जहां पैदल चलने की जरुरत ही नहीं होगी जैसे कि गांतोक में है कि कदम बढ़ाते न बढ़ाते  टैक्सी सेवा में हाजिर।फिर चाहे चढ़ो या उतरो।

पहले हम मानत रहे कि पहाड़ो में पैदल चलने से शुगर घटता होगा।इसबर शुगर घटा हो या नहीं मालूम नहीं चला,लेकिन नैनीताल के वाशिंदे शुगर के भी मरीज हो गये ठैरे,पता चला है।

जब पैदल चलने से शुगर भी नहीं रुकता तो राजीव दाज्यू इत्ते परेशां क्यों ठैरे, मालूम करना जरा जरुरी है।

नैनीताल वाले जरा उनसे जवाब तलब कर लें कि नैनीताल के गांतोक बनने से और उत्तराखंड के सिक्किम बने जाने से उनके पेट में मरोड़ क्यों है।

शुगरे न घटै तो पैदल चलने से का फायदा।

मुश्किल यह है कि अपने सुंदरलाल बहुगुणा जी भी तकलीफ में हैं इस विकास पागल दौड़ से ।

उनकी विचारधारा सर्वोदयी है।गांधी और विनोबा के असर में हुए और फिर चिपको चलाया हुआ है।

चिपको चलाकर उनन को नोबेल भी नहीं मिला।

सर्वोदय आश्रम चलाने और हिमालय पैदल पैदल नापने के बजाये वे कोई एनजीओ चलाये रहते तो खुदै नोबेलिया हो जाते और देहरादून के बदले सिरिफोर्ट मा बाराकवा से बतियाते।

हमारी बत्तीस चौतीस या कि छत्तीस इंच छाती भी फूलक छप्पन की हो जाती के हम बी उनर चेले रहे हैं।

वाल्दिया,सुंदरलाल बहुगुणा और अपने अत्यंत भद्र शर्मीले से राजीवदाज्यू की कहीं सुनवाई इस देश में अब मंकी बातों के मुकाबले होगी या नहीं,नहीं मालूम।

कुल जमा किस्सा यह है कि अमेरिका में भले बर्फबारी हो रही हो,भारतीय बाजार में तीस करोड़ मध्यवर्गीय परचेजिंग पावर वाली जनता हो गयी ठैरी और पांच दस साल में संतन का फतवा धकाधक बच्चा पैदा करने का इस कंडोम जमाने में मानें चाहे न मानें,भारत की शत प्रतिशत हिंदुत्व वाली जनसंख्या चाइना से ज्यादा होगी,तो डालरों की बरसात झमाझम होइखे चाही।

बरेली के बाजार में झुमका गिरल चाही ,फिर जिनको मिलल ,वो तो दुल्हनियां ले उड़बो ह।
बाकीर जनता खातिर ट्रिंकलिंग ट्रिकलिंग डालर है।
ट्रिकलिंग ट्रिकलिंग अमेरिका भी है।

सिरि फोर्टवा मा नईकी पीढ़ी खातिर वही ट्रिकल ट्रिकल नुमाइश जबरदस्त रही है।

ईश!तीसरी कसम मा वहीदा का पान खाइकै का जलवा का रहिस।
हीरामन ससुरा मेला मेला मा भटके रहबै ह आउर हीराबाई इति उति जलवा बिखेर दिहिस।ई जलवा कोई मलबा का मालिक नईखै।

इथे उथै काहे मुंह मारे ह चैतू,ई हमार देश नाही।

पहले त सिद्ध करबै चाही कि विशुद्ध आर्य ह कि नाही।
उकर बाद हिंदू ह के नाही।
फिन जात पूछै ससुरा के जात अछूत तो नाही।
सवर्ण बाचे त कउन जात मा।
झमेला भौते है।
गैर हिंदू होय तो घर वापसी बंदोबस्त जरुर बा,पण कौन जात मा एंट्री मिलल,पता नइखे।

अब जात पांत का मसला जो ह सो रहबै करबै है।
कोई बाबा आंबडकर रहिस,उ जाति उन्मूलन का एजंडा  बना रहिल।
उ एजंडा फेंक दिहल आउर बाबा अब विष्णु अवतार होइबै करै।

गांधी बुढ़उ जउन पागल दौड़ कहत रहे उ अब सांढ़ो की उछल कूद ह।


नाथूराम भविष्यद्रष्टा रहे कि उ फौरन समझ गये,रामराज्य जो चीखै बुढ़उ  उ किंतु परंतु हिंदू राष्ट्र नहीं है ।नहीं है हिंदू राष्ट्र।न हिंदू राष्ट्र हो सकै।

गांधी बुढ़उ आउर सर्वोदयी उनके विचार हिंदुत्व और हिंदू साम्राज्यवाद के खिलाफ जितना है उतना ही पागल दौड़ और अमेरिका के खिलाफ भी है।

सो दे दे दनादन ठौंक दिहिस हिंदुत्व के सबसे बड़े दुश्मन को।
बुढउ विकास को पागल दौड़ बताये रहे।
सांढ़ देखते ,सांढों की उछल कूद देखते तो पिर क्या पता कब सत्याग्रह शुरु कर देते।

सो,चैतू भारत रत्न नाथूराम बाबा ने बापू को मार दियो।
अबहुं भारत अमेरिका बा।
सबसे पहिले उन महान महामहिम नाथूराम बाबा का मंदिर चाहि इस मुक्त बाजार के शत प्रतिशत हिंदुत्व खातिर,हिंदू राष्ट्र खातिर,हिंदू साम्राज्यवाद खातिर।अमेरिका खातिर।







तभी ना कल्कि अवतार।

अबे मोर बाप,जनता जनार्दन,चैतू सर्वत्र निमित्तमात्र,समझा करो जानम के ई हमार देश नाही।

जो डालर झमाझम उठाये न सकबो,उकर देश कइसे होई यहिंदुस्तान जां हिंदू ना होइब तो समझ लीज्यो गुजरात माडल का चीज ह।

ई डालर देश बा।
हिंदुस्तान मा मेकिंग इन अमेरिका बा।
तीस करोड़ जो परचेजिंग रहे,उनर देश हीरक देश हमार ई।

सुसुरा भांग वांग छाने के सविता रानी की इजाजत नइखे।
अखबारो का गू मूत छाने बिन मुहूर्त बनाइके पीसी पर मौज से बैछे कि नाही कि नेटवा बइठ गइलन।
सो,भैंसवा पानी से निकल रहिस के बिजली रानी झुमका गिराइके चल दिहिस।

उकर नखरे का का कहि।
उकर खातिर हमार उत्तराखंड अबहुं ऊर्जा प्रदेश वानी।
उकर खातिर आधा पहाड़ डूब तो समझो के आधा हिमालय केदार जलप्रलय।
सुंदरलाल ज्यू ने तो अनाज छोड़ दिहिस कि ग्लेशियर पिघल रहल बा।

अब अमेरिकी चूल्हा जो हमार असल साझा चूल्हा बा,उकर खातिर हम अापन सांझ चूल्हो तहस नहस करलै वानी,उ बिजली भी मुफ्त देने खातिर अमेरिका मा बनन चाहि सो मोदी मेकिंग इन।पहल।

उ चूल्हा आ जायी इस खातिर जलवायु की भी फिक्र लगी है।
बाकीर अमेरिका मा प्रति व्यक्ति जो कार्बन उत्सर्जन का रेट ह,उकर दस फीसद भी हम उत्सर्जन ना करै ह।
जलवायु सुधारे खातिर परमाणु ऊर्जा जरुरी बा।
परमाणु ऊर्जा चाहि त अमेरिकी कंपनियां खातिर मुनाफा भी चाहि।

अड़चनै हो भोपाल गैस त्रासदी जइसन तो बचारा अरुण जेटली कहां कहां दौड़बो,इस खातिर झमेला ही खत्म कर दिहिस के अब कोई मुकदमा हो तो अमेरिकी कोई कंपनी कटघरे में खड़ा न होई न एंडरसनवा जइसन बेमौत मरे कोय।

मुआवजा चाहि तो मुश्किल आसान सरकारी बीमा है,जो वैसे ही बाजार मा खपत है,विनिवेश मा एलआईसी झोंके ह।प्रीमियम भी न मिलल।पीएफ भी बीमा ही समझो कि मिलल के न मिलल,कछु मालूम नइखे।

उ रकम का अंडा दिहिस,उकर से मरै उरै जो कीड़े मकौड़े,उनको मुआवजा छिड़क दीजै फिर लाइट झमाझम।चकाचाक हीरकराज गुजरातमाडल।

उ लाइटवा का नजारा सिरिफोर्व मा नुमाइश हो गइल रहल।
बाराकवा बोले के भारत अमेरिकी जौन दोस्ती ह,व ग्लोबल मामला ह।

बाराकवा बोलेला के संयुक्त राष्ट्र मा भारत स्थाई तौरे पर रहबै चाहि।
अबतक ना बोले रहि,अबहुं बोलेला।

सुपर पावर हिंदू राष्ट्र से जो जलल रहबै तुहार हामार माफिक हैव नाट्स और जो कम्युनिस्ट जन्मजात अमेरिका का विरोध करै,वही चीखै है ,गो बैक ओबामा।

बाकीर सन्नाटा ह।

कांग्रेस तो परमाणु संधि का जनक ह।

संघ परिवारो विरोध करलै बाड़न जब यूपीए सरकार रहिस।

अब हिंदू राष्ट्र खातिर परमाणु बम बम ह।
सुपरपावर परमाणु राष्ट्र हो तभी न करोड़पति अरबपति बहार हो,मल्टीनेसनल सपोर्ट आउर इंडिया इंक सधै ह।

इकर खातिर स्वदेशी थिंक टैंकवा बगुला भगत बन गइल।
धड़ाधड़ मछली पकड़कै चाखै सो जो होय सो होय।

बाकी अंबेडकरियों को दुकानो से फुरसत नाही।
समाजवादी भी समाजवादी आखेर।
सत्ता गणित खातिर कुछो भी बकै रहिस।

त बाकीर जनता का उखाड़ लिहिस।
दुल्हनियां ले उड़ल बराकवा।

बाराकवा बोलत बहुत नाइस नाइस।
वालीवूड हालीवूट एइसन मिक्स रीमिक्स कर दिगहिस आउर हिंग्लिश का एइसन जलवा बेखेर दिहिस कि जिंगल विंगल दम तोड़ बैठबो और बिंदास जो हिरोइन ताम ह,उनर जलवा फेल।

एको रास्ता सुझाइलन कि झमाझम नाचै ह बिजली रानी।
गाइड मा जइसन नाचल ह वहीदा या कि आम्रपाली मा बैजंती।
कछु याद नइखै तो हेमामालिनी को देख लिज्यो कि अबहुं का जलवा बिखेरल संसद मां संसद बाहिर विज्ञापन मा आउर सिनेमा मा भी।
उनर नाच वृंदावन से लाइव देखो तो हिंदुत्व समझ जाइब,चैतू।

गौर करें कि हिंदुत्व का गौरव गान की क्याजुगलबंदी हो गयी है कि  भारत और अमेरिका को सिर्फ स्वाभाविक साझेदार ही नहीं बल्कि सर्वश्रेष्ठ साझेदार बताते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने आज कहा कि अमेरिका प्रौद्योगिकी, स्वच्छ बिजली, उपग्रह, किसानों की भलाई, बच्चों को स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने के साथ कारोबार, आधारभूत संरचना, स्मार्ट सिटी, बंदरगाह, हवाई अड्डे के विकास में 'करीबी पार्टनर' बनाना चाहता है। सिरीफोर्ट आडिटोरियम में 'टाउनहॉल संबोधन' में ओबामा ने कहा कि भारत और अमेरिका सिर्फ स्वाभाविक साझेदार ही नहीं बल्कि सर्वश्रेष्ठ साझेदार हैं।

ओबा कृष्णने भी तारीफ के पूल बांधने में कोई कंजूसी नहीं बरती ,भारत अमेरिकी परमाणु संधि फ्रीज से निकालकर वे झटाझट कामयाब राष्ट्रपति का तमगा पा गये हैं और इसी खातिर ओबामा ने कहा कि जिस तरह से एक चाय बेचने वाले का बेटा आज देश का प्रधानमंत्री बना है वह सिर्फ भारत जैसे दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में हो सकता है।

ओबामा कृष्ण ने कहा कि मेरा स्वयं का राष्ट्रपति बनना भी सिर्फ अमेरिका में ही हो सकता है। बराक ओबामा ने कहा कि मेरे और मोदी के जीवन में काफी समानतायें है। ओबामा ने कहा कि पीएम मोदी के पिता चाय बेचते थे और उनकी मां घरों में काम करती थी और उनका बेटा आज हमारा प्रधानमंत्री के तौर पर स्वागत कर रहा है। बराक ओबामा ने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि मोदी एक बेहतरीन इंसान होने के साथ मजबूत व्यक्तित्व भी है।

परमाणु ऊर्जा भविष्य है।
अमेरिका मा तुषारपात निबट
जाइ तो सगरे बंद कारखाना खुलेला।
वहींच मा फिर परमाणु चूल्ही बनि।

बाकीर रहि मंकी बातें।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के संयुक्त रेडियो संबोधन 'मन की बात' को आज शाम आठ बजे प्रसारित किया जाएगा और इसके आधे घंटे से थोड़ा ज्यादा समय तक चलने की संभावना है ।
मोदी ने एक फोटोग्राफ के साथ आज ट्विट किया जिसके कैप्शन में लिखा हुआ है, 'रेडियो कार्यक्रम के दौरान अपने 'मन की बात' साझा करते हुए । विशेष कड़ी के लिए 27 जनवरी की शाम आठ बजे रेडियो सुनें । मन की बात, रेडियो, अमेरिका, भारत ।'
बजरंगी सौंदर्यशास्त्र प्रबल

ई हिंदुस्तान पाकिस्तान क्रिकिट नइखे।
ई विशुद्ध हिंदुत्व मानिंद पवित्र आर्यरक्त संबंध जायनी ह।
इजराइल पुरजोर समर्थन मा ह कि वो भी इस्लमा के विरुद्ध वानी।

मजहबी हिंसा के बारे में जो बोलेला बाराकवा,उकर संबंध हिंदुत्व के बजरंग एजंडा से नइखे।

उ तो आतंक के विरुद्ध अमेरिका का जुजद्ध ह।
जेकर इंडिया अमेरिका इजराइलो साथे पार्टनर है।

वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति।
अमेरिका भारत भाई भाई।
बराक नमो भाई भाई।
जुड़वा भाई।
मेले मा बिछुड़ल बा।

अमेरिका मा मिलल हो।
फिन राम भरत मिलन हुई गवा।
कृष्ण अवतार मा पधारो म्हारा देश ओबामा और हमार नमो महाराज सुदामा हुई गवा डिजाइनर घड़ी बेघड़ी शूट बदल बदलकै।

सुदामा च्या कोय मेहरारु रहिस कि नाही,डीटेल नाही त सुदामो के पीछे काहे लग गयो रे।

भारत में कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लिए अमेरिकी दबाव है कि ग्लेशियर पिघलने लगे हैं बलि तो परमाणु ऊर्जा का व्यापक प्रचार प्रसार होना चाहिए।

इसे यूं समझिये कि अंतरराष्ट्रीय निगरानी की जो व्यवस्था है और जल जमीन जंगल आसमान अंतरिक्ष में जो अमेरिकी निगरानी बेरोकटोक है,उसके खातिर अमेरिकी मांग परमाणु ईंधन की ट्रैकिंग सौदेबाजी रही है जबर्दस्त और मोदी महाशय ने निजी संबंध कुर्ता में अपना पूरा नाम टांक के,मैडम मिशेल को भारतीय परिधान पहिनाइके जो बाराक बाराक कहिके गले मिलल रहिस,उसके तहत  कामयाबी बतायी जा रही है कि अमेरिका ने वह मांग विदड्र कर ली।

बहरहाल अमेरिकी की गरज थी परमाणु उत्तरदायित्व से अमेरिकी कंपनियों की आजादी,सो हासिल हो गयी।

बाजार तो उछल गइल धड़ाक धड़ाक कि बाजार ने भारत-अमेरिकी करार को जबरदस्त सलामी दी है। एक्सपायरी वाले हफ्ते के पहले दिन बाजार न केवल लगातार 8वें दिन बढ़त के साथ बंद हुआ, बल्कि लगातार 5वें कारोबारी सत्र में रिकॉर्ड ऊंचाई बनाने में भी कामयाब रहा। वैसे तो बाजार ने शुरुआत अच्छी की थी लेकिन बाद में फिर थोड़ी सुस्ती नजर आई। फिर कारोबारी सत्र के आखिरी घंटे में बाजार ने दमदार वापसी की और रिकॉर्ड स्तरों पर दस्तक दी। आखिरकार पहली बार निफ्टी 8900 के ऊपर, जबकि सेंसेक्स 29500 के ऊपर बंद होने में कामयाब हुआ है।

सेनोरिटा,बड़े बड़े देशों में.. दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे का संवाद बोलकर ओबामा ने सचमुच दुल्हनिया लूट ली है..

ओबामा ने सचमुच दुल्हनिया लूट ली है,मोदी रह गये बिन दुल्हन के कुर्ता में नामावली टांकके,जयहो मोदी! जय हो ओबामाकृष्ण!


गौरतलबे है कि अंतरराष्ट्रीय राजनय में अमेरिकी राष्ट्रपति निजी संबंध बनाने में बेहद माहिर होते हैं।

ऐसा ही कुछ संबंध गोर्बाचेव महाराज से अमेरिकी नेताओं का बन गया था और उसका नतीजा हमने देख लिया है।

हमरा का होई बै चेतू?
ससुरा कैंप डेविड का किस्सा भी वहींच।
बहरहाल मोदी ने बाराकवा की पीठ थपथपाकर जो हासिल किया है,उसका हिस्सा हमें और आपको ,आम जनता को मिले न मिले,जिनको मिलने वाला है,उनकी बातें गौर से सुनते रहिए और फिर रात आठ बजे मंकी बात सुन लीजियेगा और मोदी की बनायी चाय की चुस्की लेते रहियेगा।

ओबामा क जलवा बाजार में बोल रहा है।
बाजार में शानदार तेजी देखी जा रही है उसके आधार पर कहा जा सकता है कि इसकी रफ्तार कम होने वाली नहीं है। एफआईआई की जोरदार खरीदारी के बल पर बाजार उड़ान भर रहा है और इस बुल रन के जारी रहने की उम्मीद से जानकार भी फूले नहीं समा रहे हैं।
कुल माजरा समझने के लिए इकोनामिक टाइम्स में खरबपति सुनील भारती मित्तल का यह मंतव्य पढ़ेंः

अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी प्रेजिडेंट बराक ओबामा के बीच रिश्तों की गर्माहट को संकेत मानें तो निश्चित तौर पर आर्थिक और राजनीतिक, दोनों मोर्चों पर भारत-अमेरिकी रिश्ते नए दौर में जाने को तैयार हैं। दुनिया के 2 बड़े लोकतांत्रिक देशों के बीच रिश्तों में आई बेहतरी को देखना वाकई में सुखद है।

भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत और एशिया के बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य भारत को अमेरिका का स्वाभाविक साथी बनाते हैं। साउथ एशिया में सुरक्षा के लिए भारत अहम एंकर का रोल निभा सकता है। इससे भी अहम बात यह है कि हमारा मुल्क बड़ा कंज्यूमर मार्केट है और आने वाले दशकों में यहां बिजनस करने के बड़े मौके होंगे।

मोदी सरकार ने रिफॉर्म की प्रक्रिया फिर से शुरू करने और भारत में बिजनस करने की सहूलियत बढ़ा कर ग्लोबल इनवेस्टर समुदाय को काफी पॉजिटिव मेसेज दिया है। दावोस में टॉप बिजनस लीडर्स के साथ बातचीत में मैंने पाया कि भारत को लेकर मूड काफी सकारात्मक और शानदार है। आईटी और कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स स्पेस में अमेरिकी कंपनियों का पहले से भारत में बड़ा बिजनस चल रहा है।

भारतीय बिजनस हाउस अमेरिका को सबसे बड़े एक्सपोर्ट मार्केट के तौर पर देखते हैं। इनमें आईटी/आईटीईएस, फार्मा, गारमेंट्स और जूलरी जैसे सेक्टर शामिल हैं। दोनों देशों के लॉन्ग टर्म स्ट्रैटेजिक गठबंधन की तरफ से बढ़ने से रिश्तों में और गहराई आएगी।

जहां तक प्रधानमंत्री मोदी के 'मेक इन इंडिया' अभियान की बात है, तो हमारे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को रिवाइव करने में अमेरिकी कंपनियां अहम रोल अदा कर सकती हैं। खासतौर पर डिफेंस और हाई ऐंड टेक्नॉलजी सेक्टर में काफी फायदा हो सकता है। चूंकि भारत डिजिटल ग्रोथ के चरण में प्रवेश करने की तैयारी मंा है, लिहाजा इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलिकॉम इक्विपमेंट में भी बिजनस का बड़ा मौका है।

दोनों देशों के लिए न्यूक्लियर और रिन्यूवेबल एनर्जी, फाइनैंशल सर्विसेज सेक्टरों में भी मौके हैं। मुझे उम्मीद है कि भारत-अमेरिका उस ऐतिहासिक परमाणु समझौते को आगे बढ़ाएंगे, जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने शुरू किया था। सिलिकॉन वैली आईटी और टेक्नॉलजी इनोवेशन का मक्का है और अपने 'डिजिटल इंडिया' विजन के लिए सॉल्यूशंस बनाने की खातिर भारत नई अमेरिकी कंपनियों की मदद ले सकता है।

हालांकि, भारतीय आईटी कंपनियों की तरफ से ज्यादा वीजा की मांग, ट्रेड, पेटेंट और इमिशन जैसे मुद्दे हैं, जिन पर दोनों देशों को मतभेद दूर करने की जरूरत है। बहरहाल, पॉजिटिव रफ्तार को देखते हुए इन तमाम मसलों का हल निकाले जाने की उम्मीद जताई जा सकती है।
( चेयरमैन, भारती एंटरप्राइजेज )

इकोनामिक टाइम्स की यह रपट जरुर पढ़ लेंः
ओबामा ने क्लाइमेट चेंज के मसले पर भारत पर किसी बाध्यकारी संधि का दबाव तो नहीं डाला, मगर अपनी क्लीन एनर्जी इंडस्ट्री के हितों को ध्यान में रखते हुए सहयोग के कई मोर्चे जरूर खोले। इस मुद्दे पर भारत लगातार कहता आ रहा है कि वह अपने विकास के लक्ष्यों को देखते हुए क्लाइमेट चेंज के मसले पर किसी बाध्यकारी संधि पर दस्तखत नहीं करेगा।

ओबामा दौरे में अमेरिका से क्लीन एनर्जी पर कई मोर्चों पर सहमति हुई। इस बीच दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका में ज्यादा चर्चा क्लाइमेट डील को लेकर है, जबकि भारत में न्यूक्लिर डील का शोर है। वाइट हाउस ने भी दोनों देशों के बीच ऐटमी, सामरिक और अन्य मसलों पर हुई सहमति से ज्यादा इसे तवज्जो दी है। दोनों देशों ने ओबामा की भारत यात्रा के दौरान एनर्जी सिक्यॉरिटी, क्लीन एनर्जी और क्लाइमेट चेंज के प्रभावों से निपटने के लिए पांच साल के सहमति-पत्र पर दस्तखत करने का फैसला किया।

सहमति के मेन पॉइंट्स -अमेरिका ने कहा है कि वह ओजोन लेयर को नुकसान पहुंचाने वाले हाइड्रो क्लोरोफ्लोरोकार्बन्स से मुक्ति पाने में भारत को हर तरह का सहयोग देगा। इन्वायरनमेंट फ्रेंडली टेक्नॉलजी मुहैया कराने में मदद करेगा।

- वाइट हाउस का कहना है कि वह क्लीन एनर्जी के क्षेत्र में रिसर्च के लिए भारत के साथ सहयोग करेगा। इसके लिए साढ़े 12 करोड़ डॉलर की एक योजना तय की गई है। इसके तहत सोलर पावर, एनर्जी एफिसेंट इमारतें बनाने और अडवांस बायोफ्यूल के विकास पर काम किया जाएगा।

- अमेरिका इस साल गर्मियों तक अपना एक फील्ड इनवेस्टमेंट ऑफिसर भारत में नियुक्त करेगा। यह अधिकारी क्लीन एनर्जी के क्षेत्र में भारत में अमेरिकी निजी निवेश बढ़ाने का काम करेगा। अमेरिका का इरादा भारत के क्लीन एनर्जी मिशन के लिए कम से कम एक अरब डॉलर जुटाने का है।

- भारत की एयर क्वॉलिटी को दुरुस्त करने में सहयोग और टेक्नॉलजी मिलेगी।

- इंडस्ट्री, कोल बेस्ड पावर प्लांट्स और हैवी ड्यूटी वीइकल्स के प्रदूषण से बचने के लिए अमेरिका क्लीन फ्यूल, फ्यूल के पूरे इस्तेमाल के लिए टेक्नॉलजी विकसित करने का भी काम करेगा।

- ऐसे उपकरण बनाने पर काम करेंगे, जिनको ग्रिड की बिजली की जरूरत न पड़े। इससे बिजली क्षेत्र पर दबाव कम होगा और पलूशन में कमी आएगी।

वक्ता ओबामा दुल्हन ले उड़ल ह।

The Economic Times

No dearth of talent in India. India takes pride in people like Milkha Singh, Mary Kom, Kailash Satyarthi, says US President Barack Obamahttp://ow.ly/I08z6 | HIGHLIGHTS: http://ow.ly/I09oA
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अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा अपने तीन दिवसीय दौरे के आखिरी दिन दिल्ली के सीरी फोर्ट ऑडिटोरियम में मंत्रमुग्ध कर देने वाला भाषण दिया। उन्होंने स्वामी विवेकानंद के अंदाज में भारतीयों को 'मेरे भारतीय भाइयों और बहनों' के रूप में संबोधित करके मन मोह लिया।
उन्होंने कहा कि उनके गृहनगर शिकागो ने सदी भर पहले स्वामी विवेकानंद का स्वागत किया था जो हिंदुत्व और योग के प्रचार के लिए भारत आए थे। आज मैं कहना चाहता हूं, 'मेरे भारतीय भाइयों और बहनों।' इसके बाद सदन देर तक तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने भाषण में दोनों देशों के रिश्तों, उसकी समानताओं, लोकतांत्रिक मूल्यों और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तार से बात की।


मीडिया खबर मुताबिक  दिल्ली के सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का भाषण 'धन्यवाद' से शुरू हुआ। ओबामा ने गणतंत्र दिवस की परेड के लिए उन्हें भारत आमंत्रित करने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि भारत में दूसरी बार उन्हें आमंत्रित करने के लिए वह शुक्रगुजार हैं। ओबामा ने अपने संबोधन में शाहरूख खान, मैरीकॉम, कैलाश सत्याथी और मिल्खा सिंह का भी जिक्र किया।
ओबामा ने अपने संबोधन में भारत और अमेरिका के रिश्तों की मजबूती पर जोर दिया। वह बोले कि आने वाले समय में भारत और अमेरिका के संबंध और बेहतर होंगे। उन्होंने कहा, 'भारत और अमेरिका के बीच की साझेदारी इस सदी के लिए यादगार होगी। वैसे हमारी साझेदारी आज की नहीं है। सौ सालों से भी पहले अमेरिका ने भारत के स्वामी विवेकानंद को स्वागत किया था। अमेरिका में सभी विवेकानंद से बहुत प्रभावित हुए थे।'
इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में करेंगे सहयोग
भारत को अमेरिका के समान बताते हुए ओबामा ने कहा, 'भारत और अमेरिका कुछ ऐसे देशों की पंक्ति में शामिल हैं जो चांद और मंगल तक पहुंच चुके हैं। भारत और अमेरिका जैसी लोकतांत्रिक शक्तियां यदि एक साथ आ जाती हैं, तो यह विश्व और सुरक्षित हो जाएगा। इसके लिए अमेरिका सदा भारत के साथ खड़ा है। अगर भारत इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में कुछ बेहतर करना चाहे, तो हम वो पहले देश हैं, जो मदद के लिए तैयार हैं।'
न्यूक्लियर हथियार मुक्त विश्व की कल्पना
विश्व में परमाणु अप्रसार के मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने एशिया महाद्वीप में जो अहम भूमिका निभाई है अमेरिका उसकी सराहना करता है। हम एक ऐसे विश्व की कल्पना करते हैं जिसमें न्यूक्लियर हथियार न हों। यह हमारा लक्ष्य भी है कि ऐसे विश्य का निर्माण करें जिसमें किसी देश के पास न्यूक्लियर हथियार न हो।'
ओबामा ने की हंसी-ठिठोली
इस बीच ओबामा ने फिल्म डीडीएलजे का डायलॉग, 'बड़े-बड़े देशों में.....' बोलने की कोशिश की। मगर वह बीच में इसे भूल गए। हंसी-ठिठोली के बीच उन्होंने कहा कि आप समझ गए होंगे कि मैं क्या कहना चाहता हूं। मुझे पूरा भरोसा है कि भारत अमेरिका का बेस्ट पार्टनर रह सकता है। जीवन को बेहतर बनाने में अमेरिका भारत को पूरा सहयोग देगा।' साथ ही उन्होंने यह भ्ाी कहा कि वे अपनी पत्न्ाी से अक्सर सलाह लेते हैं। उन्होंने माना कि उनकी तरक्की में मिशेल की बड़ी भूमिका रही है।
नारी शक्ति की जिक्र
नारी शक्ति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसी से देश तरक्की करता है। महिलाएं काम करती हैं तो परिवार तरक्की करता है। ओबामा के अनुसार भारतीय परिवारों में मां की भूमिका अहम होती है। इसके साथ ही अपील की कि लड़का और लड़की को परिवार में समान अधिकार मिलने चाहिए। अपने संबोधन में उन्होंने शाहरूख खान, मैरीकॉम, कैलाश सत्याथी और मिल्खा सिंह का जिक्र किया। साथ ही उन्होंने कहा कि अमेरिका और भारत में एक समानता यह है कि दोनों देशों की विभिन्नता ही इनकी मजबूती है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने माना कि भारत युवाओं का देश है और भारतीय युवा पूरी दुनिया को बेहतर शक्ल दे सकते हैं।
अमेरिका-भारत के कॉलेजों को जोड़ने की कल्पना
भारतीय युवाओं को मेहनती बताते हुए उन्होंने कहा की अमेरिका और भारत के कॉलेजों को वे एक साथ जोड़ना चाहते हैं ताकि शिक्षा का आदान-प्रदान हो सके। मजदूरों का जिक्र करते हुए ओबामा ने कहा कि मजदूर देश की तरक्की की रीढ़ होते हैं। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने माना कि रंग की वजह से उन्हें भी संघर्ष करना पड़ा है। ओबामा के अनुसार सब को मिलकर बदलाव लाना होगा।
ओबामा के बचपन की यादें
एक ऐसा क्षण भी आया जब ओबामा भावुक हो गए। अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपनी बचपन की यादों को बांटते हुए बताया कि उनके दादा ब्रिटिश सेना में कुक थे। जब उनका जन्म हुआ तो अमेरिका के कुछ क्षेत्रों में अश्वेत लोगों को वोट देने का भी अधिकार नहीं था। उन्होंने कहा, 'हम ऐसे देशों से हैं, जहां एक कुक का पोता देश राष्ट्रपति बन जाता है और एक चाय वाला प्रधानमंत्री।'
भाषण के अंत में ओबामा ने कहा कि वह पहले ऐसे राष्ट्रपति हैं जो दूसरी बार भारत दौरे पर आए हैं, लेकिन उन्हें यकीन है कि वह आखिरी नहीं होंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत दौरे का आज अंतिम दिन है।


सीएनबीसी-आवाज के मुताबिक भारत और अमेरिका के बीच हुए इस रक्षा करार से भारत को कई अहम तकनीक मिलने का रास्ता साफ हो गया है। जिससे भारतीय सेना की क्षमताओं में बढ़ोतरी होगी। इस करार से भारतीय रक्षा कंपनियों के लिए मौके बढ़ेंगे औरभारत को रक्षा मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने में मदद मिलेगी।आतंकवाद के मुद्दे पर अमेरिका के साथ बनी सहमति से आतंकवाद का बेहतर तरीके से मुकाबला  किया जा सकेगा।

इंडो-यूएस बिजनेस समिट में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत के साथ रिश्ते मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत असीम संभावनाओं का देश है और अमेरिका उसका न्यूट्रल पार्टनर है। राष्ट्रपति ओबामा के मुताबिक अभी भी ऐसी संभावनाएं हैं जिनका इस्तेमाल नहीं हुआ है और अभी काफी काम करना बाकी है।

ओबामा ने एलान किया कि यूएस एक्जिम बैंक भारत को अगले 2 साल में 100 करोड़ डॉलर का कर्ज देगा। इसके अलावा ओबामा ने भारत में 400 करोड़ डॉलर निवेश करने और कर्ज का वादा भी किया। इतना ही नहीं ओबामा ने भरोसा जताया है कि भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करने में अमेरिका मदद करेगा और यूएसटीडीए रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स के लिए 200 करोड़ डॉलर भी दिए जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी भारत में गुड गवर्नेंस और टैक्स नीतियों में स्थायित्व का वादा किया।

इंडो-यूएस बिजनेस समिट में प्रधानमंत्री मोदी ने सरकार की सभी फ्लैगशिप योजनाओं का मकसद समझाया। उन्होंने मेक इन इंडिया, कारोबार को आसान बनाने जैसे योजनाओं पर खास जोर देते हुए कहा कि चाहे एग्रीकल्चर हो या मैन्युफैक्चरिंग, सरकार का हर सेक्टर  को आगे बढ़ाने पर जोर है।

इंडो-यूएस बिजनेस समिट में कॉरपोरेट्स ने प्रधानमंत्री मोदी के सामने पॉलिसी से जुड़ी परेशानियों को रखा, वहीं पीएम मोदी ने आगे बढ़कर कॉरपोरेट्स को भरोसा दिलाया कि पॉलिसी में ना सिर्फ सुधार होगा बल्कि सामंजस्यता भी रहेगी।

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इंडो-यूएस बिजनेस समिट के दौरान कहा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार तेजी से बढ़ा है लेकिन अभी भी कारोबार बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं जिसके लिए दोनों देश आगे काम करेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा कहा कि भारत और अमेरिका को कारोबार को आसान बनाने नई टेक्नोलॉजी का विकास और ग्रोथ को रफ्तार देने  पर जोर देना चाहिए।

वहीं गोदरेज ग्रुप के चेयरमैन अदि गोदरेज ने सीएनबीसी आवाज़ से खास बातचीत में कहा कि एनर्जी सिक्योरिटी के लिए न्यूक्वियर डील जरूरी थी और आपसी व्यापार और निवेश में बढ़ोतरी की उम्मीद है।

साथ न्यू सिल्क रूट के सीईओ पराग सक्सेना ने भी खास बातचीत में बताया कि विदेशी निवेशकों के लिए भारत में सेंटिमेंट पहले से काफी पॉजिटिव हो गया है, हालांकि जीएएआर जैसे मुद्दों पर सफाई आना अब भी बेहद जरूरी है।

एचएसबीसी इंडिया की चेयरमैन नैनालाल किदवई का कहना है कि भारत-अमेरिका के रिश्ते और मजबूत होंगे। इंडो-यूएस बिजनेस समिट में डिफेंस पर चर्चा हुई, लेकिन सरकार का फोकस रिन्यूएबल एनर्जी पर होना चाहिए। रिन्यूएबल एनर्जी के लिए यूएस से टेक्नोलॉजी और निवेश आ सकता है। सरकार की ओर से मेक इन इंडिया के लिए हर जरूरी कोशिश जारी है, लेकिन जमीन अधिग्रहण पर भी चर्चा जरूरी है।

भारती एंटरप्राइजेज के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल का कहना है कि प्रधानमंत्री ने सीईओ फोरम में इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग का मुद्दा उठाया लेकिन इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग के लिए इन्सेंटिव पर्याप्त नहीं है। वहीं सुनील भारती मित्तल ने भरोया जताया है कि 500 अरब डॉलर के व्यापार का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

केकेआर इंडिया के मेंबर और सीईओ संजय नायर का कहना है कि अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत एक बड़ा बाजार है और बिजनेस करना आसार हुआ तो पूंजी और तकनीक आएगी। भारत में खासतौर से अमेरिका से काफी निवेश आएगा। हालांकि पूंजी बड़ी चुनौती है लेकिन सरकार का काम शानदार रहा है।


ओबामा के इस भारतीय दौरे के दौरान परमाणु करार पर भी भारत और अमेरिका के बीच सहमति बनी है। मोदी-ओबामा के हस्तक्षेप के बाद परमाणु डील पर लंबे समय से बना गतिरोध खत्म हो गया है और परमाणु जवाबदेही कानून से जुड़ा विवाद सुलझा लिया गया है। अमेरिका ने भी परमाणु सामाग्री की निगरानी की शर्त हटा ली है। इस करार के तहत अमेरिका न्यूक्लियर प्लांट के लिए 1500 करोड़ रुपये के इंश्योरेंस पूल पर सहमत हो गया है। जिसके तहत जीआईसी और 4 दूसरी बीमा कंपनियां 750 करोड़ का पूल बनाएंगी और बाकी 750 करोड़ रुपये भारत सरकार देगी। अमेरिका ने भारत को न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप की सदस्यता के समर्थन देने के भी संकेत दिए हैं। इसके अलावा भारत को 3 अन्य एक्सपोर्ट कंट्रोल रिजीम का सदस्य बनाने का भी भरोसा दिया गया है।

इस परमाणु डील से 2008 की परमाणु डील हकीकत में बदलेगी और अमेरिकी कंपनियां भारत में न्यूक्लियर रिएक्टर लगा सकेंगी। जी हितैची, वेस्टिंगहाउस जैसी कंपनियों की  भारत में दिलचस्पी है और इन कंपनियों को गुजरात में पहले ही जमीन अलॉट हो चुकी है। लेकिन परमाणु जवाबदेही कानून की चिंताओं की वजह से अभी काम नहीं शुरू हुआ था। इस करार से भारत को 2020 तक 20,000 मेगावॉट न्यूक्लियर बिजली बनाने और 2032 तक 63,000 मेगावॉट न्यूक्लियर बिजली बनाने का लक्ष्य पाने में मदद मिलेगी।

भारतीय कंपनियों के लिए ये करार किस तरह से फायदेमंद हो सकते हैं इस मुद्दे पर बात करते हुए वालचंदनगर इंडस्ट्रीज के एमडी जीके पिल्लई का कहना है कि भारत और अमेरिका के बीच न्युक्लियर डील से अमेरिकन न्यूक्लियर कंपनियों की भारत में रुचि बढ़ेगी और ठंडे बस्ते में पडे़ तमाम प्रस्तावों में नई गर्मी आयेगी। न्यूक्लियर सेक्टर में काम करने वाली भारतीय कंपनियों को अमेरिकन कंपनियों के साथ काम करने का मौका मिलेगा।

जीके पिल्लई ने बताया कि वालचंदनगर इंडस्ट्रीज का लक्ष्य अगले 5 साल में अपने डिफेंस और एयरोस्पेस कारोबार को बढ़ाकर 1000 करोड़ रुपये करना है।

ओपीसी ऐसेट सॉल्यूशंस के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर का कहना है कि बाजार में शानदार तेजी को देखते हुए लगता है कि जनवरी सीरीज में ही निफ्टी में 9000 का स्तर देखने को मिल सकता है। बाजार में बजट तक जोरदार तेजी जारी रहेगी और बजट तक बाजार ऊंचाई के सारे कीर्तिमान तोड़ देगा।

बाजार में ऊपर का मूमेंटम है और ये बजट तक जारी रहेगा। निफ्टी में 9000 का स्तर जल्द देखने को मिल सकता है। बाजार की नजर ईसीबी और ग्रीस के चुनावी नतीजों पर थी और ये दोनों इवेंट हो चुके हैं। अब बाजार की नजर आज से शुरू होने वाली एफओएमसी की बैठक पर है और इसमें से क्या फैसला निकलकर आएगा इसपर नजर रहेगी।

फेड चेयरमैन जैनेट यलन की वैश्विक बाजारों को स्थिरता देने की कोशिश है। अब जब डॉलर इतनी तेजी से बढ़ रहा है तो इस समय क्यूई में कटौती करने की गुंजाइश कम लग रही है और ब्याज दरों के बढ़ाने की संभावना भी कम हो गई है।

जी न्यूज मुताबिक अमेरिकी राष्‍ट्रपति बराक ओबामा अपने तीन दिवसीय भारत के दौरे को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद मंगलवार दोपहर यहां के पालम एयरपोर्ट से सउदी अरब के लिए रवाना हो गए। ओबामा नई दिल्ली से सीधे सउदी अरब के लिए रवाना हुए हैं। गौर हो कि सउदी अरब के शाह अब्दुल्ला का पिछले गुरुवार को निधन हो गया था।
ओबामा आज अपनी बख्तरबंद लिमोजिन 'बीस्ट' में बैठकर पालम एयरपोर्ट पहुंचे। इस मौके पर उनकी पत्‍नी मिशेल ओबामा भी साथ थीं। आज दोपहर 1.50 बजे अपने आधिकारिक विमान एयरफोर्स वन में सवार होने से पहले ओबामा ने अपनी पत्‍नी के साथ हाथ जोड़कर सबका अभिवादन किया और नमस्‍ते किया। ओबामा के पालम पहुंचने से पहले एयरपोर्ट तक के रास्‍ते आम लोगों के लिए बंद कर दिए गए। साथ ही सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए गए। उधर, व्‍हाइट हाऊस ने ट्वीट कर पीएम मोदी और भारत की जनता का धन्‍यवाद किया। ओबामा के शानदार दौरे के लिए भी धन्‍यवाद किया।
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गौर हो कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के रविवार को पालम एयरपोर्ट पहुंचने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनका भव्य स्वागत किया था। ओबामा और उनकी पत्नी मिशेल तीन दिन की बहुचर्चित भारत यात्रा पर रविवार को पालम हवाई अड्डे पर अपने एयर फोर्स वन विमान से उतरे तो प्रोटोकाल से हटते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी अगवानी की थी। मोदी और ओबामा ने निजी रिश्तों का इजहार करते हुए एक दूसरे को गले लगाया। ओबामा पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बन गए हैं जो सोमवार को गणतंत्र दिवस परेड में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत और अमेरिका के बीच कई समानताएं बताते हुए कहा कि ये दोनों देशों को करीब लाती हैं. उन्होंने कहा, 'मेरे पिता केन्या में ब्रिटिश आर्मी में कुक हुआ करते थे. जब हम पैदा हुए थे तो मेरे जैसे दिखने वाले लोग कई हिस्सों में वोट भी नहीं कर सकते थे. लेकिन हम ऐसे देशों से हैं जहां कुक का पोता राष्ट्रपति बन सकता है और एक चायवाले का बेटा भी प्रधानमंत्री बन सकता है.'
अपने प्रभावी वक्तव्यों के लिए मशहूर ओबामा ने भारतीय मेहमाननवाजी की भी खूब तारीफ की. उन्होंने बीच-बीच में अपने सेंस ऑफ ह्यूमर का भी खूब इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा, 'भारतीय गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने वाला पहला अमेरिकी राष्ट्रपति बनना मेरे लिए गर्व की बात है. पिछली बार हम भारत आए थे तो हमने मुंबई में बच्चों के साथ डांस किया था और रोशनी का त्योहार (दीवाली) मनाया था. लेकिन दुर्भाग्य से इस बार हम बच्चों के साथ डांस नहीं कर सके. हमें भारत में दोबारा बुलाने के लिए 'बहुत धन्यवाद'.
भाषण के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने वहां मौजूद लोगों से मुलाकात की. इस कार्यक्रम में ओबामा के साथ शांति के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी भी मौजूद थे. अमेरिकी राष्ट्रपति ने यहां तीन स्पेशल बच्चों से भी मुलाकात की, जिन्हें बाल मजदूरी से सत्यार्थी की संस्था 'बचपन बचाओ' ने छुड़ाया था.
इन बच्चों से मिले ओबामा
पायल, 14 वर्ष: पायल ने इस उम्र में शादी करने से मना कर दिया. अब वह बाल सरपंच हैं और अब अपने गांव में बाल विवाह को खत्म करने के अभियान की अगुवाई कर रही हैं.
अयूब खान, 12 वर्ष: हालात से मजबूर अयूब से जबरदस्ती एक बटन बनाने की फैक्ट्री में काम करवाया गया. सत्यार्थी की संस्था ने उसे इस नरक से आजाद कराया.
दीपक, 8 साल: दीपक भी एक बाल मजदूर था. एक खेत में काम करते हुए उसकी उंगली थ्रेशर की चपेट में आ गई.
गौरतलब है कि साल 2009 में बराक ओबामा को भी शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. हालांकि ओबामा रविवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की ओर से दिए गए भोज के दौरान ही कैलाश सत्यार्थी से मिल चुके हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा अपनी पत्नी मिशेल ओबामा के साथ दोपहर डेढ़ बजे इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से एयरफोर्स वन में सवार होकर सउदी अरब के लिए रवाना होंगे.
'मन की बात' का डबल धमाका
मंगलवार रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा एक साथ मिलकर रेडियो पर 'मन की बात' करेंगे. इस कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग पहले ही हो चुकी है, मंगलवार को इसका प्रसारण किया जाना है. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रेडियो के माध्यम से देशवासियों के साथ 'मन की बात' करते हैं.
चार अरब डॉलर का निवेश
इससे पहले सोमवार की शाम अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने देश में चार अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की. इसके साथ ही भारत और अमेरिका के बीच व्यापार का लंबा फासला तय करने का रास्ता खुल गया है.
राष्ट्रीय राजधानी में सोमवार को अमेरिका-भारत व्यापार सम्मेलन को संबोधित करते हुए ओबामा ने कहा, 'अगले दो सालों में हमारा आयात निर्यात बैंक (ईएक्सआईएम) भारत को एक अरब डॉलर का अमेरिका में बनी वस्तुओं के आयात का समर्थन करेगा. यह भारत भर में लघु और मध्यम आकार के व्यापार को एक अरब डॉलर से ज्यादा राशि का कर्ज देगा. और हमारी अमेरिकी व्यापार और विकास एजेंसी भारत में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में लगभग दो अरब डॉलर का निवेश करेगी.'
अन्य कदमों की चर्चा करते हुए ओबामा ने कहा कि अमेरिका भारत को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी और बेहतर सड़कों के निर्माण में सहायता के लिए तैयार है.
उन्होंने कहा, 'हमें इस बात को सुनिश्चित करने की जरूरत है कि भारत और अमेरिका का आर्थिक विकास समावेशी हो. प्रवासी निवेश पहल भी भारत के लिए मददगार होगा.'
ओबामा ने कहा, 'भारत को अमेरिकी निर्यात लगभग 35 फीसदी है. हमारे देश में भी भारतीय निवेश में बढ़ोतरी हो रही है. भारतीय निवेश से अमेरिका में रोजगारों का सृजन हो रहा है. हमारे बीच प्रगाढ़ होते व्यापार संबंध भी भारत के लिए शुभ संकेत है. संबंधों से दोनों देशों के कामगार लाभान्वित हो रहे हैं.'
इससे पहले समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि राज्य को ऐसी नीतियों से संचालित होना चाहिए, जो अधिक निवेश आकर्षित कर सकें. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के छह महीने के कार्यकाल के दौरान ही अमेरिकी निवेश में 50 फीसदी का उछाल आया है.
मोदी ने यहां आयोजित अमेरिका-भारत बिजनेस समिट में कहा, 'राज्य नीति संचालित होना चाहिए. इससे निवेश में मदद मिलेगी. देश में निवेश लाने के लिए स्थिरता एक अन्य बहुत महत्वपूर्ण पक्ष है. इनसे कई समस्याएं सुलझ जाएंगी.'
मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ इस शिखर सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि अधोसंरचना और कृषि में भारी निवेश से अर्थव्यवस्था में सुधार होगा.
उन्होंने कहा, 'हम सही रास्ते पर हैं. आर्थिक विकास में वृद्धि दर्ज की गई है. दुनिया के प्रमुख देशों के मुकाबले भारत में व्यापार का माहौल सर्वोच्च स्तर पर है. उपभोक्ता माहौल तीन साल के बाद सकारात्मक दर्ज किया गया है.'
मोदी ने कहा, 'अर्थव्यवस्था के आठ प्रमुख सेक्टरों का विकास तेजी से बढ़ा है. महंगाई पांच साल के निचले स्तर पर है. पिछले चार महीनों में 11 करोड़ बैंक खाते खोले गए हैं. मेरी सरकार के छह माह के कार्यकाल में ही अमेरिकी निवेश 50 फीसदी बढ़ा है.'
बौद्धिक संपदा अधिकार का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को सभी पक्षों को मिलकर हल करना होगा. उन्होंने कहा, 'हमने एक कार्यकारी समूह गठित किया है जो इस मुद्दे पर चर्चा करेगा.' ओबामा की ओर रुख करते हुए मोदी ने कहा कि अब इनके सहयोग से 'हम अपनी प्रतिबद्धताओं को ठोस भविष्य में बदलेंगे.'





बड़ी परियोजनाओं की निगरानी खुद करेगा PMO

टाइम्स न्यूज नेटवर्क| Jan 27, 2015, 10.53AM IST
नई दिल्ली

फैसला लेने की प्रक्रिया को तेज और धारदार बनाने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) खुद बड़ी परियोजनाओं पर नजर रखेगा।  सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निवेशकों को आश्वासन दिया कि प्रधानमंत्री कार्यालय भारी निवेश वाली बड़ी परियोजनाओं की खुद निगरानी करेगा।

पीएम ने निवेशकों को खुले माहौल का आश्वासन दिया, जिससे निवेश करने में आसानी होगी और कारोबार को फायदा पहुंचाएगा। मोदी ने इन बड़ी परियोजनाओं की प्रगति पर निजी रूप से नजर रखने की एक भारतीय-अमेरिकी फोरम के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और यह वादा किया। परियोजनाओं की निगरानी करने के लिए यूपीए शासनकाल में जिस निगरानी ग्रुप का गठन हुआ था, वह कैबिनेट सचिन के अधीन है और कई लंबित परियोजनाओं को मंजूरी दिलाने में मदद की है। लेकिन, निवेशक इस बात को तरजीह देंगे कि प्रधानमंत्री कार्यालय बड़ी परियोजनाओं की खुद से निगरानी करे जिससे कि फैसला लेने की प्रक्रिया में तेजी आए। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में जान डालने और ओवरऑल ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए लंबित परियोजनाओं को आगे बढ़ाना बहुत जरूरी है।

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बिजनस लीडरों ने जो सुझाव दिए, उनको सुनने के बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि जिन समस्याओं का उल्लेख किया गया है उनमें से अधिकतर का हल 3 चीजों के माध्यम से होगा। वे 3 चीजें हैं, सक्रिय और कल्याणकारी सुशासन, पॉलिसी से चलने वाला देश और पॉलिसी में निरंतरता।

पीएम ने इस बात को स्वीकार किया कि इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स एक अहम मुद्दा है और सभी देशों को मिलकर इसका हल निकालना चाहिए। उन्होंने सरकार की मुख्य प्राथमिकताओं पर भी प्रकाश डाला जिनमें 'व्यापार करने को आसान बनाना' और 'मेक इन इंडिया' भी शामिल है। उन्होंने इंफ्रास्ट्रक्चर विशेषकर रेलवे में निवेश के महत्व का भी उल्लेख किया।

उन्होंने कहा कि कृषि में उनका 'पर ड्रॉप मोर क्रॉप' (दिए जाने वाले पानी की हर बूंद पर अधिक से अधिक फसल की पैदावार हो) विजन किसानों की समस्या को हल करने में मदद करेगा। इस विजन की मदद से जलवायु परिवर्तन और पानी की कमी के संकट से भी निपटा जा सकता है।

उन्होंने कहा कि निवेशकों की बातें सुनना बहुत जरूरी है क्योंकि इससे फैसला लेने की प्रक्रिया तेज होती है। पीएम ने कौशल, स्केल और रफ्तार के अपने मंत्र का भी उल्लेख किया और कहा कि जब वह अहम निर्णय लेंगे तो राज्यों के हित को ध्यान में रखेंगे। भारत-अमेरिका व्यापार सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा, 'इससे बिजनस करना आसान हो जाएगा। भारत को पिछले पायदान से दुनिया के टॉप 50 देश की श्रेणी में लाना हमारा पहला लक्ष्य है।'

उन्होंने कहा, 'आप को टैक्स की ऐसी व्यवस्था मिलेगी जो प्रतियोगी और पारदर्शी होगी। हमने उन फालतू के नियमों को हटा दिया है जो पहले वाली व्यवस्था में मौजूद थे। अब हम बाकी बची अनिश्चितताओं को दूर करेंगे।'

पीएम ने इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करने की सरकार की योजनाओं में व्यापार के अवसर गिनाए। उन्होंने रेलवे, क्लीन गंगा मिशन, शहरी कचरा प्रबंधन, गावों को जोड़ने और सात सालों में सभी भारतीय को घर दिलाने के अपने प्रॉजेक्ट में बिजनस के अवसर गिनाए।

पीएम मोदी ने अमेरिका के साथ मजबूत साझीदारी की वकालत की। उन्होंने कहा कि दोनों देश के हाथ मिलाने से दुनिया को भलाई होगी। उन्होंने कहा, 'विश्व की अर्थव्यवस्था को स्थिरता प्रदान करने और इसके ग्रोथ को बढ़ाने में भारत अहम भूमिका निभाएगा। और सबसे बड़ी बात यह है कि भारत की संपन्नता से दुनिया में शांति और स्थिरता आएगी।

अंग्रेजी में भी पढ़ें: PMO hawk-eye on progress of mega projects

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